आखिरकार बोफोर्स का भूत हुआ दफन, सेना में शामिल होंगी नई होवित्जर तोपें
अमेरिका से 737 मिलियन डॉलर (लगभग 5,000 करोड़ रुपये) की 145 एम 777 अल्ट्रा-लाइट तोपों की खरीद के सौदे को मंजूरी दे दी है।
नई दिल्ली, जेएनएन। पिछले 30 सालों से चलता आ रहा बोफोर्स का भूत आखिरकार दफन हो ही गया। बोफोर्स घोटाले के कारण ही सेना के लिए आखिरी बार 1980 के दशक में तोप खरीदी गई थी। 1980 के मध्य के बोफोर्स घोटाले के तोपखाने के आधुनिकीकरण की योजनाओं को 2017 के मध्य तक सेना नए तरीके से अपनी पहली आधुनिक 155mm तोपों में शामिल कर लेगी। बुधवार को रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में अमेरिका से 737 मिलियन डॉलर (लगभग 5,000 करोड़ रुपये) की 145 एम 777 अल्ट्रा-लाइट तोपों की खरीद के सौदे को मंजूरी दे दी है।
दो से तीन हफ्ते में हो सकता है करार
एम 777 सौदा एक 30% ऑफसेट खंड है। मिली जानकारी के अनुसार अगले दो से तीन हफ्ते के अंदर इस सौदे का करार हो जाएगा। 1980 के मध्य में हुए बोफोर्स घोटाले के बाद अस्त्र-शस्त्र से जुड़ी कई कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया। इस घोटाले के बाद 1.18 मिलियन सेना में एक भी 155 एमएम तोपखाना बंदूक शामिल नहीं की गई।
सूत्रों का कहना है कि प्रस्ताव और स्वीकृति का पेंटागन के पत्र (एलओए) भारत के लिए 20 नवंबर तक वैध है। लेकिन इसे 10-15 दिनों के लिए और बढ़ाया जा सकता है। एक अग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक एम 777 सौदे के एलओए पर दोनों देशों की सरकारें 2009-2010 के बाद से बातचीत कर रही हैं। 7 नवंबर को एक बार फिर से यह एलओए समाप्त हो गई थी।
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अनुबंध के 6 महीने में मिलेंगी दो तोपें
दिलचस्प बात ये है कि एम 777 तोपों में बीएई सिस्टम्स है जिसे मूल स्वीडिश बोफोर्स कंपनी के मालिक द्वारा निर्मित किया जा रहा है। बता दें कि 145 एम 777 तोपों में से 120 को भारत में बीएई सिस्टम्स के व्यापार भागीदार महिंद्रा के साथ एकीकृत और परीक्षण किया जा रहा है। पहली दो तोपों को अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के छह महीने के भीतर वितरित कर दिया जाएगा। इसके बाद हर महीने दो तोपों के दर से भारतीय सेना में शामिल किया जाएगा।
सेना में शामिल होंगी नई होवित्जर तोपें, देखें तस्वीरें
आखिरी बार 1980 में खरीदी गई थी तोपें
सेना के लिए आखिरी बार 1980 के दशक में बोफोर्स तोप खरीदी गई थी। लेकिन इस सौदे को लेकर भी सरकार पर घूसखोरी के आरोप लगे थे। इसके बाद भारतीय फौज को 155mm/39-केलिबर की हल्की होवित्जर तोपों की दरकार थी। इन तोपों को अधिक ऊंचाई वाली जगहों पर आसानी से हवाई जहाज के माध्यम से ले जाया जा सकता है। चीन से लगी भारतीय सीमा पर भी इन्हें लगाया जा सकता है।
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