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संजय दत्त को लगातार पैरोल भेदभाव पूर्व : हाईकोर्ट

बांबे हाई कोर्ट ने फिल्म अभिनेता संजय दत्त को लगातार पैरोल दिए जाने के फैसले को भेदभावपूर्ण करार दिया है। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकारते हुए सवाल किया कि मुंबई सीरियल ब्लास्ट (12 मार्च 1993) मामले में आ‌र्म्स एक्ट के तहत सजा पाए दत्त को नौ माह में 11

By Edited By: Updated: Wed, 26 Feb 2014 07:29 AM (IST)
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मुंबई [राज्य ब्यूरो]। बांबे हाई कोर्ट ने फिल्म अभिनेता संजय दत्त को लगातार पैरोल दिए जाने के फैसले को भेदभावपूर्ण करार दिया है। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकारते हुए सवाल किया कि मुंबई सीरियल ब्लास्ट (12 मार्च 1993) मामले में आ‌र्म्स एक्ट के तहत सजा पाए दत्त को नौ माह में 118 दिनों की छुट्टी दी गई है। इस उदारता की वजह क्या है। सरकार अन्य दोषियों के साथ ऐसी उदारता क्यों नहीं दिखाती।

न्यायमूर्ति एनएच पाटिल एवं वीएल अचलिया की पीठ ने मंगलवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, कई बार हमें ऐसी याचिकाओं पर सुनवाई करनी पड़ती है, जिनमें महीनों पैरोल अर्जियों पर फैसला नहीं होता। हमें हस्तक्षेप कर कैदी को पैरोल पर छोड़ने के निर्देश देने पड़ते हैं। सजा मिलने के बाद 16 मई 2013 को जेल पहुंचे दत्त पत्नी की बीमारी के कारण अब तक तीन बार में 118 दिनों की पैरोल ले चुके हैं। हाल ही में उनकी छुंट्टी 21 मार्च तक बढ़ाई गई है। वहीं, मुंबई धमाका मामले में सजा पाई जैबुन्निसा काजी का गुर्दा खराब हो चुका है। फारुक मोटरवाला की पत्नी गंभीर बीमारी से पीड़ित है। इसके बावजूद इन दोनों को पैरोल पर रिहाई के लिए कोर्ट से गुहार लगानी पड़ी थी। दत्त से पैरोल पर रिहाई के लिए जमानत राशि भी 5000 रुपये जमा कराई गई है, जबकि अन्य कैदियों से 10 से 20 हजार रुपये तक जमा कराए जाते हैं। पीठ ने कैदियों के साथ होने वाले इस प्रकार के भेदभावपर भी सवाल खड़े किए।

पढ़ें : संजय दत्त की पैरोल पर महारष्ट्र से जवाब-तलब

साथ ही राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह चार हफ्तों में गृह, कानून, न्याय और जेल आदि विभागों के अफसरों की समिति बनाए और उसे पैरोल नियमों की पुनर्रचना को कहे ताकि ऐसे भेदभाव का रोका जा सके। ज्ञात हो, संजय दत्त की पैरोल अवधि तीसरी बार एक माह के लिए बढ़ाए जाने पर सवाल उठे थे तो मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण ने सफाई पेश की थी। साथ ही कहा था कि सभी निर्णय कानूनी दायरे में लिए जा रहे हैं। न किसी नियम का उल्लंघन हुआ है,न राजनीति हस्तक्षेप हो रहा है।