जरा सी चूक इस सर्दी में आपको बना सकती है ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक का शिकार, यूं करें बचाव
जबरदस्त सर्दी पड़ने पर ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में जरूरी है कि सावधानी बरतना बेहद जरूरी है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 30 Dec 2019 08:43 AM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। समूचे उत्तर भारत में इस वक्त कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। पहाड़ी इलाकों में जहां जबरदस्त बर्फबारी से लोगों का हाल बेहाल है, वहीं मैदानी इलाकों में दो सप्ताह से जारी शीत लहर ने लोगों की जीवन दुश्वार बना दिया है। इसका असर बच्चों से लेकर बड़ी उम्र के लोगों तक पर पड़ रहा है। इस तरह की कड़ाके सर्दियों में खांसी, जुकाम और बुखार के अलावा हृदयघात, ब्रेन स्ट्रोक और अस्थमा के अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है। जरा सी चूक आपको ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक का शिकार बना सकती है। उत्तर भारत में इस तरह के कई मामले सामने आ रहे हैं। लिहाजा ये जरूरी है कि इससे बचाव के लिए सावधानी बरतनी बेहद जरूरी है।
सर्दियों में क्यों बढ़ जाते हैं हार्ट अटैक के मामले
आपको बता दें कि सर्दियों में रक्त नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं जिससे शरीर में खून के प्रवाह उस मात्रा में नहीं हो पाता है जिस मात्रा में इसे होना चाहिए। इसके अलावा दिल को रक्त प्रवाह के लिए अधिक पंपिंग करनी पड़ती है। साधारण भाषा में इसको दिल का तेजी से धड़कना कहा जाता है ऐसे में ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, जो हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ा देता है। इसके अलावा अक्सर एक ही जगह पर काफी देर तक बैठे रहने से भी रक्त का प्रवाह प्रभावित होता है और खून गाढ़ा हो जाता है। शरीर में रक्त प्रवाह को सही करने के लिए दिल को तेजी से धड़कना होता है, जो बीपी को बढ़ा देता है। अधिक वजन वाले लोगों कैलोरी की खपत कम हो जाती है और शरीर पर चर्बी बढ़ने लगती है। यह भी हार्ट अटैक का बड़ा रिस्क फैक्टर है।
क्या होता है ब्रेन स्ट्रोक कड़ाके की सर्दी के मौसम में रक्त की नलिकाएं सिकुड़ने की वजह से दिमाग की नसों में भी रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। यदि यह रक्त का प्रवाह पूरी तरह से रुक जाए तो उस स्थिति को ब्रेन अटैक कहा जाता है। ऐसी स्थिति में ब्रेन के प्रभावित हिस्से की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं। ऐसे में नस के फटने का भी खतरा बढ़ जाता है जिसको ब्रेन हेमरिज कहा जाता है। ब्रेन स्ट्रोक के बीस में से तीन लोगों में इसका खतरा होता है। यह अक्सर बीपी के उन मरीजों में ज्यादा होता है जिनका ब्लड प्रेशर काफी तेजी से उतरता और चढ़ता रहता है। ऐसे में मरीज की जान बचाने के लिए जितना जल्दी हो उसको अस्पताल ले जाना चाहिए। ऐसी स्थिति में शुरुआती चार घंटे काफी अहम होते हैं।
क्या करते हैं हम गलती सर्दियों में अक्सर प्यास कम लगती है। इसकी वजह से आमतौर पर हम लोग पानी पीना भी कम कर देते हैं। लेकिन यही छोटी सी चूक हमारे जीवन के लिए घातक साबित होती है। दरअसल, पानी का सेवन कम करने से डिहाइड्रेशन हो जाता है, जिसकी वजह से खून गाढ़ा हो जाता है और इसका प्रवाह कम या रुक जाता है। यही स्थिति हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा देती है। लिहाजा इस स्थिति से बचने के लिए पानी का सेवन कम न करें।
इन सावधानियों से करनें अपना बचाव थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ-कुछ खाते रहें और गुनगुना पानी पीते रहें। शरीर में कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करने के लिए तेल-घी, फास्ट फूड का सेवप कम कर अधिक कॉलेस्ट्रॉल वाले व्यक्ति यदि शराब या सिगरेट का सेवन करते हैं तो हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रॉक के खतरे को कहीं ज्यादा बढ़ा देता है।
ये हैं लक्षण
- सांस लेने में तकलीफ
- ब्रेन में अधिक ब्लीडिंग से बेहोशी
- शरीर के किसी हिस्से में सुन्नपन का अहसास होना।
- शरीर पर चीटियों के से दौड़ने या कमजोरी का महसूस होना।
- बोल पाने या समझने में परेशानी होना और भ्रम की स्थिति होना।
- आंखों से साफ न देख पाना। सिर में दर्द, उल्टी आना और जी मचलना।
- पानी का सेवन कम न करें।
- बीपी और शुगर की दवा लेना बंद न करें।
- नमक का इस्तेमाल कम कर दें।
- सिगरेट, तंबाकू और शराब का सेवन न करें।
- कड़ाके की ठंड में नंगे पैर घास पर चलने से परहेज करें।
- कड़ाके की सर्दी में बिना जरूरत बाहर निकलने से परहेज करें लेकिन घर में ही व्यायाम जरूर करें। यह आपके शरीर को गर्म रखने में मदद करेगा।