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लोको पायलट का ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट जरूरी

नई दिल्ली [संजय सिंह]। रेलवे कर्मचारियों के लिए स्पष्ट नियम है कि वह किसी भी हालत में शराब पीकर या नशा कर ड्यूटी पर नहीं आएंगे और न ही ड्यूटी के दौरान शराब पिएंगे या अन्य कोई नशा करेंगे। भले ही उनका संबंध ट्रेन संचालन से सीधे हो या न हो। लोको पायलट या ट्रेन ड्राइवर के मामले में तो इस नियम का सख्ती से पाल

By Edited By: Updated: Sat, 09 Mar 2013 09:49 PM (IST)
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नई दिल्ली [संजय सिंह]। रेलवे कर्मचारियों के लिए स्पष्ट नियम है कि वह किसी भी हालत में शराब पीकर या नशा कर ड्यूटी पर नहीं आएंगे और न ही ड्यूटी के दौरान शराब पिएंगे या अन्य कोई नशा करेंगे। भले ही उनका संबंध ट्रेन संचालन से सीधे हो या न हो। लोको पायलट या ट्रेन ड्राइवर के मामले में तो इस नियम का सख्ती से पालन किए जाने के निर्देश हैं। ट्रेन संचालन से सीधे जुड़े कर्मचारियों [रनिंग स्टाफ] मसलन लोको पायलट, गार्ड, स्टेशन मास्टर, केबिनमैन, सिग्नलमैन, प्वाइंटमैन और गैंगमैन आदि के मामले में तो यहां तक निर्देश है कि उन्हें ड्यूटी से आठ घंटे पहले तक किसी तरह का नशा नहीं करना है। चाहे वह शराब हो, या नशीली दवा या ऐसा ही कुछ और। ड्यूटी से पहले बाकायदा इसकी जांच के प्रावधान हैं। ये कर्मचारी ड्यूटी रजिस्टर पर दस्तखत ही तभी कर सकते हैं जब ब्रेथ एनालाइजर जांच में साबित हो गया हो कि उन्होंने नशा नहीं किया है।

हर स्टेशन पर लोको पायलट और गार्ड लॉबी में ब्रेथ एनालाइजर उपकरण रखे जाने जरूरी हैं। लोको पायलट, गार्ड तथा अन्य रनिंग स्टाफ बिना ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट पास किए ड्यूटी रजिस्टर पर दस्तखत नहीं कर सकते। ब्रेथ एनालाइजर वैसा ही उपकरण है जैसा सड़क पर वाहन चालकों में शराब की जांच के लिए ट्रैफिक पुलिस द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। इसमें फूंक मारने वाले के नशे के स्तर का पता चलता है और उसे उसी आधार पर पास या फेल किया जाता है। ड्यूटी खत्म होने के बाद रजिस्टर पर साइन करने से पहले भी यह टेस्ट होना जरूरी है। यदि ब्रेथ एनालाइजर से नशे की पुष्टि होती है तो ड्यूटी की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। इसी तरह समय-समय पर फिटनेस टेस्ट भी जरूरी है। मानसिक या शारीरिक रूप से अस्वस्थ रनिंग स्टाफ को ड्यूटी पर नहीं भेजा जा सकता। रेलवे में शारीरिक स्वास्थ्य के अलावा दृष्टि की जांच आवश्यक है। लोको पायलटों का 45 साल की आयु तक हर चार साल में और उसके बाद 55 साल तक हर दो साल में पीरियाडिकल मेडिकल एक्जामिनेशन [पीएमई] आवश्यक है। जबकि मधुमेह के शिकार या 55 वर्ष से अधिक आयु के कर्मचारियों की स्वास्थ्य जांच हर साल होनी चाहिए।

यही नहीं, रेलवे में सभी कर्मचारियों का यह दायित्व है कि यदि वे अपने किसी साथी को नशे में या नशा करते पाते हैं तो उसकी सूचना तुरंत अपनी सीनियर को देंगे। सारे रेल कर्मचारियों से यह भी उम्मीद की गई है कि उन्हें नियमों की जानकारी होनी चाहिए।

नियम तो पूरे हैं लेकिन व्यवहार में कई मर्तबा ढील दिखाई देती है। खासकर छुट्टियों या सप्ताहांत [शनिवार व रविवार] के दिनों में ऐसा ज्यादा होता है, जब रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी अवकाश पर होते हैं।

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