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कांग्रेसी राजघरानों में भाजपा की सेंध

भाजपा ने कांग्रेस से पहले प्रजा छीनी। दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई। धीरे-धीरे कांग्रेस के हाथ से सूबे भी झटकती जा रही है। यह सितम क्या कम था कि अब भाजपा मुख्य विपक्षी दल की रीढ़ तोडऩे में जुट गई है। प्रजा यानी वोटरों का भरोसा हासिल करने के

By Rajesh NiranjanEdited By: Updated: Mon, 05 Jan 2015 02:06 PM (IST)
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नई दिल्ली, [राजकिशोर]। भाजपा ने कांग्रेस से पहले प्रजा छीनी। दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई। धीरे-धीरे कांग्रेस के हाथ से सूबे भी झटकती जा रही है। यह सितम क्या कम था कि अब भाजपा मुख्य विपक्षी दल की रीढ़ तोडऩे में जुट गई है।

प्रजा यानी वोटरों का भरोसा हासिल करने के बाद भाजपा ने कांग्रेस के राजघरानों में भी सेंध लगा दी है। दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल बनने का संकल्प लेकर भाजपा ने सदस्यता का जो अश्वमेध यज्ञ शुरू किया है, उसमें कांग्रेस के बड़े दिग्गजों की भी आहुति पड़ सकती है।

पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'कांग्रेस मुक्त भारत' अभियान का दूसरा चरण तेजी से शुरू कर दिया है। अब हर राज्य में अपनी ताकत बढ़ाने में जुटी मोदी-शाह की जोड़ी ने कांग्रेस के असंतुष्ट लेकिन बड़े क्षत्रपों और उनके पुराने कार्यकर्ताओं को जोडऩे का आक्रामक अभियान शुरू कर दिया है।

महाराजा पटियाला व ग्वालियर

सूत्रों के मुताबिक, भाजपा के अभियान में सबसे बड़ा नाम पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराजा पटियाला कैप्टन अमरिंदर सिंह का है। अपने पुराने सहयोगी अकाली दल के साथ भाजपा के संबंधों में तनातनी जगजाहिर है। अकाली दल के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर के चलते भाजपा में प्रभावी तबका अब पंजाब में अकेले चुनाव लडऩा चाहता है।

किसी भी राज्य में जूनियर पार्टनर न रहने की भाजपा की नीति भी अब साफ है। ऐसे में कैप्टन अमङ्क्षरदर का चेहरा उसके लिए बिल्कुल मुफीद है। जानकारों के मुताबिक, कैप्टन भी कांग्रेस में नए घटनाक्रम और अपनी उपेक्षा से क्षुब्ध हैं। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से उनकी बातचीत को दोनों ही पार्टियों के भरोसेमंद सूत्र पुष्ट कर रहे हैं।

इसी तरह, मध्य प्रदेश में भगवा लहर के बावजूद गुना की सीट बचाने में कामयाब ज्योतिरादित्य सिंधिया और भाजपा के बीच भी सूत्र जुड़ रहे हैं। सिंधिया राजपरिवार का आरएसएस से पुराना नाता रहा है। ज्योतिरादित्य की दादी विजया राजे सिंधिया का संघ परिवार और जनसंघ व भाजपा में खासा सम्मान था।

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे आदि पहले से ही भाजपा में हैं। सूत्रों के मुताबिक, अब उन्हीं पुराने सूत्रों के आधार पर ज्योतिरादित्य की भाजपा में बात चल रही है। वैसे भी कांग्रेस में राज्य से लेकर केंद्र तक ज्योतिरादित्य की कई अहम मसलों पर उपेक्षा हुई है।

अमेठी राजघराने में पहले ही सेंध

कांग्रेस नेता संजय सिंह के पुत्र अनंत विक्रम को लेकर अमेठी के राजघराने में भाजपा पहले ही सेंध लगा चुकी थी। हरियाणा चुनाव से पहले चौधरी बीरेंद्र सिंह भी भाजपा में आ गए। अब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे किरण रेड्डी के भाजपा में आने के प्रबल संकेत हैं।

तेलंगाना के गठन को लेकर रेड्डी के कांग्रेस नेतृत्व से संबंध खराब हुए थे और उसके बाद से तल्खी लगातार बनी हुई है। आंध्र में बड़े चेहरे की तलाश कर रही भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से रेड्डी की बात अंतिम स्तर पर है। कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल से भी कांग्रेस के तमाम नेता भाजपा में आ सकते हैं। महाराष्ट्र के प्रभारी रहे एक महासचिव और अन्य नेता भी भाजपा नेतृत्व के संपर्क में हैं।

सब कुछ जानकर भी शीर्ष नेतृत्व असहाय

कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व सब कुछ जानने के बाद भी असहाय दिख रहा है। पार्टी के शीर्ष सूत्र मान रहे हैं कि सोनिया से राहुल गांधी की होती कांग्रेस के चाल-चलन से तमाम नेता असंतुष्ट हैं। वे पार्टी का हाल-फिलहाल उद्धार होता भी नहीं देख रहे हैं।

साथ ही पार्टी भी इस स्थिति से सही तरीके से निपटने में असफल दिख रही है। बड़े नेताओं के साथ छोडऩे की आशंका और पार्टी में उठते विरोध के स्वर दबाने के लिए कांग्रेस ने केंद्र से राज्य तक के पदाधिकारियों को एक सर्कुलर भेजकर बयानबाजी में संयम बरतने की चेतावनी दी है। इसमें कहा गया है कि शीर्ष नेतृत्व पर बोलने से बचा जाए। कोई भी बात कहनी है तो उचित फोरम पर ही बात रखी जाए, वरना यह आचरण पार्टी से निष्कासित करने का कारण भी बन सकता है।

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