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उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर केबिनेट बैठक में नहीं हुआ फैसला

शनिवार को असम के चुनावी दौरे से दिल्ली लौटे पीएम मोदी ने कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई। इसमें उत्तराखंड के राजनीतिक हालातों पर चर्चा की गई। हालांकि इस बैठक में राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करने को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 27 Mar 2016 12:35 AM (IST)
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नई दिल्ली। सियासी भूचाल से जूझ रहे कांग्रेस शासित राज्य उत्तराखंड के मसले पर प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार रात को एक आपात बैठक बुलाई। इस बैठक में राज्य के राजनीतिक हालातों पर चर्चा की गई। हालांकि इस बैठक में राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करने जैसा कोई निर्णय नहीं लिया गया। बैठक के दौरान उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के विकल्प पर भी गंभीरता से विचार हुआ। पीएम आवास पर हुई इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हिस्सा लिया। वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड में कांग्रेस के बागी विधायकों को फिलहाल पार्टी से बाहर नहीं किया गया है। राज्य के मंत्री ने बताया है कि इस तरह की बातों को कोरी अफवाह करार दिया है।

शनिवार को दिनभर चले घटनाक्रम में पहले कांग्रेस के बागी विधायकों ने प्रेस कांफ्रेंस कर एक स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो दिखाया। इसमें मुख्यमंत्री हरीश रावत बागी विधायकों को मनाने के लिए करोड़ों रुपये के लेन-देन के प्रस्ताव पर राजी होते दिखाई देते हैं। इसके बाद भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के नेतृत्व में पार्टी के नेताओं ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की।

15-15 करोड़ की पेशकश

कांग्रेस के बागी नेता हरक सिंह रावत ने शनिवार को यहां एक प्रेस कांफ्रेस आयोजित कर मुख्यमंत्री का वीडियो दिखाया, जिसमें वह एक व्यक्ति से विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए धन के लेन-देन की बात कर रहे हैं। हरक सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री विधायकों को 15-15 करोड़ रुपये की रिश्वत देने की पेशकश कर रहे हैं। वीडियो में हरीश रावत सामने बैठे व्यक्ति को कह रहे हैं कि वह पांच का इंतजाम खुद कर देंगे। साथ ही वह सामने बैठे व्यक्ति को कहते हैं कि अगर वह 10 का इंतजाम अपनी तरफ से कर देता है तो वह 29 तारीख को एक-दो के टॉप-अप के साथ लौटा देंगे। हरक सिंह रावत ने कहा कि उन्हें उमेश शर्मा नाम के व्यक्ति का फोन आया और उनसे कहा गया कि मुख्यमंत्री बातचीत करना चाहते हैं। फोन पर ही उन्होंने मुख्यमंत्री से अपनी नाराजगी भी जताई।

राज्यपाल को भेजा वीडियो

हरक सिंह ने कहा कि उन्हें पहले से स्टिंग ऑपरेशन की कोई जानकारी नहीं थी। मगर जब उन्हें यह वीडियो दिया गया तो यह उनका फर्ज था कि वह इसे देश के सामने रखें। उन्होंने कहा कि यह वीडियो उन्होंने राज्यपाल को भी भेज दिया है। साथ ही उनसे मांग की है कि अब वह राज्य में तत्काल राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दें। दो दिन बाद ही हरीश रावत को राज्य विधानसभा में अपना बहुमत साबित करना है। पूर्व मुख्यमंत्री और बागी कांग्रेसी विधायकों के समर्थन में खड़े विजय बहुगुणा ने कहा कि इससे ज्यादा शर्मनाक और कुछ नहीं हो सकता कि मुख्यमंत्री के स्तर से विधायकों की खरीद फरोख्त की योजना बनाई जा रही है। अगर हरीश रावत को लगता है कि वीडियो फर्जी है तो पूरे मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दें।

राष्ट्रपति से जरूरी कदम का भरोसा

राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद विजयवर्गीय ने कहा-'अब हरीश रावत को एक मिनट भी सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है। आज के स्टिंग ऑपरेशन के बाद तो यह और स्पष्ट हो गया है। अब किसी विश्वास और अविश्वास मत की जरूरत ही नहीं रह गई है। वह अल्पमत को बहुमत में बदलने के लिए प्रजातंत्र की हत्या कर रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष के पद का दुरुपयोग कर विधायकों की सदस्यता समाप्त करने की कोशिश कर रहे हैं।' विजयवर्गीय के मुताबिक राष्ट्रपति ने उन्हें जरूरी कदम उठाने का भरोसा दिलाया है। हरीश रावत का स्टिंग ऑपरेशन सामने आने के बावजूद कांग्रेस पार्टी उनका बचाव करती हुई दिखाई दी। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने इस बारे में पूछे जाने पर साफ कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि हरीश रावत ऐसा कोई काम नहीं करेंगे। उन्होंने उल्टा वीडियो की सत्यता पर ही सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि राज्य में सरकार गिराने की साजिश बहुत बड़े स्तर पर रची गई है, लेकिन इसके बावजूद 28 मार्च को कांग्रेस सदन में अपना बहुमत साबित करके दिखाएगी।

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