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इंटरनेट कंपनियां खुद बंद नहीं कर सकतीं अश्लील साइट्स

इंटरनेट सेवा प्रदाता (आइएसपी) खुद पोर्नोग्राफी साइट बंद नहीं कर सकते। इंटरनेट सेवा प्रदाताओं ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अदालत व सरकार के आदेश के बिना अश्लील साइट्स पर पाबंदी लगाना व्यवहारिक व तकनीकी दृष्टि से संभव नहीं है। उनकी दलील थी कि साइट्स पर आपत्तिजनक सामग्री मौजूद होने के लिए उन्हें

By Edited By: Updated: Mon, 27 Jan 2014 08:47 PM (IST)
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नई दिल्ली। इंटरनेट सेवा प्रदाता (आइएसपी) खुद पोर्नोग्राफी साइट बंद नहीं कर सकते। इंटरनेट सेवा प्रदाताओं ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अदालत व सरकार के आदेश के बिना अश्लील साइट्स पर पाबंदी लगाना व्यवहारिक व तकनीकी दृष्टि से संभव नहीं है। उनकी दलील थी कि साइट्स पर आपत्तिजनक सामग्री मौजूद होने के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

इंदौर के कमलेश वासवानी ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर अश्लील सामग्री उपलब्ध कराने वाली वेबसाइट्स को पूरी तरह बंद करने की मांग की। याचिका में कहा गया कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले ज्यादातर अपराध की एक वजह ऐसी साइट्स भी हैं। न्यायमूर्ति बीएस चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दूरसंचार विभाग को यह बताने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया कि अश्लील सामग्री वाली इन वेबसाइट्स को किस तरह ब्लॉक किया जा सकता है।

इंटरनेट सेवा प्रदाता संगठन ने कहा कि पोर्नोग्राफिक शब्द को परिभाषित करने की जरूरत है, क्योंकि इसकी सीमाएं स्पष्ट नहीं हैं। पोर्नोग्राफी के बारे में कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं है। संगठन ने सवाल किया कि क्या मेडिकल या एड्स के प्रति जागरूकता पैदा करने वाली वेबसाइट्स को पोर्नोग्राफी माना जाएगा? खजुराहो के चित्रों को किस श्रेणी में रखा जाएगा?

एक व्यक्ति की पोर्नोग्राफी दूसरे के लिए उच्चकोटि की कला हो सकती है। इससे पहले, केंद्र सरकार ने भी कोर्ट को जानकारी दी थी कि देश में अंतरराष्ट्रीय पोर्न साइट्स ब्लॉक करना मुश्किल है। केंद्र ने इस समस्या का हल खोजने के लिए विभिन्न मंत्रालयों से परामर्श करने के लिए कुछ समय मांगा था।

पढ़ें: बढ़ती अश्लील वेबसाइटों पर केंद्र से जवाब तलब

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