एटीएस ने गोरखपुर में बुधवार रात जिन दो पाकिस्तानी नागरिकों को एके-47 और पिस्टलों के साथ पकड़ा था, उन्हें बड़ी वारदात करने के बाद राजधानी आना था। एटीएस की छानबीन में इस तथ्य के सामने आने के बाद खुफिया एजेंसियां एक बार फिर लखनऊ में छिपे आतंकियों के मददगार तक पहुंचने के लिए अपने जाल बिछा रही है। व
By Edited By: Updated: Sun, 30 Mar 2014 11:59 AM (IST)
[आलोक मिश्र], लखनऊ। एटीएस ने गोरखपुर में बुधवार रात जिन दो पाकिस्तानी नागरिकों को एके-47 और पिस्टलों के साथ पकड़ा था, उन्हें बड़ी वारदात करने के बाद राजधानी आना था। एटीएस की छानबीन में इस तथ्य के सामने आने के बाद खुफिया एजेंसियां एक बार फिर लखनऊ में छिपे आतंकियों के मददगार तक पहुंचने के लिए अपने जाल बिछा रही है। वास्तव में राजधानी लंबे समय से आतंकियों की पनाहगाह रही है। यहां विभिन्न आतंकी गुटों के आतंकियों के आकर ठहरने व अपने नेटवर्क को संचालित करने का पुराना इतिहास रहा है।
एटीएस के अधिकारी पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिए गए आतंकी अब्दुल वलीद उर्फ मुर्तजा तथा फहीम उर्फ मु. ओवैस से गहनता से पूछताछ कर रहे हैं। इनमें दोनों का लखनऊ कनेक्शन सामने आने के बाद अब यहां छिपे आतंकियों के मददगारों की छानबीन तेज कर दी गई है। दरअसल, पिछले करीब 14-15 सालों में लखनऊ में आतंकी गुटों की जड़ें लगातार मजबूत हुई हैं। ध्यान रहे, करीब तीन वर्ष पूर्व एटीएस ने एक आतंकी गुट को असलहे सप्लाई करने के आरोप में मॉडल हाउस निवासी इजहार खान को पकड़ा था।
पुलिस ने तब उसके कैसरबाग व अमीनाबाद निवासी एक दर्जन साथियों व मददगारों को चिन्हित करने का दावा भी किया था। इससे पूर्व 16 नवंबर 2009 को पुलिस ने पुराने लखनऊ से पाकिस्तान के जासूस आमिर अली को भी पकड़ा था। वहीं दिल्ली में वर्ष 2009 में पकड़े गए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी सलीम उर्फ यूसुफ से पूछताछ में सामने आया था कि वह लंबे समय तक यहां हसनगंज क्षेत्र स्थित एक हास्टल में ठहरा था। केवल यही नहीं आरोपी ने यहां लविवि में एमए में दाखिला भी हासिल कर लिया था। 14 मई 2012 को दिल्ली पुलिस ने आतंकी शकील को लखनऊ के पास से ही गिरफ्तार किया था। इन आतंकियों की छानबीन के दौरान पुलिस व खुफियां एजेंसियों ने इनके कई स्थानीय मददगारों को भी चिन्हित किया था। छिपकर राजधानी में रहने वाले कई आतंकियों को उनके स्थानीय मददगारों ने राशनकार्ड व डीएल तक मुहैया कराए थे। पहेली ही रहा स्टेडियम के पास मिला बम
चौक स्टेडियम के पास 19 अक्टूबर 2010 को एक बम मिला था। बम के नमूने को जांच के लिए आगरा स्थित फोरेंसिक साइंस लैब भेजा गया था, लेकिन बम की जांच रिपोर्ट पुलिस ने आज तक सार्वजनिक नहीं की। ध्यान रहे, काले रंग के बैग में मिले बम को बनाने में एल्युमिनियम की क्षणों के साथ साइकिल में इस्तेमाल होने वाले छर्रे व कांच के टुकड़े भी प्रयोग किए गए थे। उसमें बारूद भी थी। हालांकि अधिकारियों ने तब इसे साधारण बम करार देकर मामले को दबा दिया था। तब पुलिस ने एक स्केच जारी कर बम रखने वाले शख्स की तलाश का दावा भी किया था, लेकिन अब तक उसका कुछ पता नहीं लगाया जा सका।
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