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जाति आधारित जनगणना सामाजिक न्याय के लिए महत्वपूर्ण

जनगणना के आदेश को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज करने के दूसरे दिन द्रमुक अध्यक्ष एम करुणानिधि ने इसे सामाजिक न्याय के लिए महत्वपूर्ण बताया है।

By manoj yadavEdited By: Updated: Sat, 08 Nov 2014 08:53 PM (IST)
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चेन्नई। जाति आधारित जनगणना के आदेश को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज करने के दूसरे दिन द्रमुक अध्यक्ष एम करुणानिधि ने इसे सामाजिक न्याय के लिए महत्वपूर्ण बताया है। उन्होंने इसकी आवश्यकता बयां करते हुए केंद्र सरकार से खुद इसे अमल में लाने की मांग की।

यहां जारी एक विज्ञप्ति में करुणानिधि ने कहा, यद्यपि सुप्रीम कोर्ट ने वर्तमान कानूनी प्रावधानों के तहत आदेश दिया है, बावजूद इसके जाति आधारित जनगणना सामाजिक न्याय के क्रियान्वयन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने दलील थी कि जाति आधारित जनगणना नहीं कराना नीतिगत मामला है। इसके बाद शीर्ष न्यायालय ने मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया।

करुणानिधि ने कहा, सभी संबंधित लोगों की इच्छा है कि केंद्र जाति आधारित जनगणना की महत्ता को समझकर खुद आगे आए और इस अमल में लाए। शीर्ष अदालत ने मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को यह कहते हुए निरस्त कर दिया था कि कोर्ट को नीतिगत मामलों में दखल नहीं देना चाहिए। न ही आदेश जारी कर सरकारी नीति में कुछ जोड़ना चाहिए। जनगणना कैसे कराई जाए यह सरकार का नीतिगत मामला है।

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