सीबीआई के इस कदम से विजय माल्या को देश छोड़ने में हुई आसानी
डिफाल्टर विजय माल्या को देश छोड़ने में आसानी तब हुई जब सीबीआई ने माल्या के खिलाफ जारी लुकआउट नोटिस में बदलाव कर दिया। दरअसल माल्या के खिलाफ सीबीआई के पहले जारी लुकआउट नोटिस में माल्या के देश से बाहर जाने के दौरान उन्हें हिरासत में लिया जा सकता था।
By Gunateet OjhaEdited By: Updated: Fri, 11 Mar 2016 06:54 AM (IST)
नई दिल्ली। डिफाल्टर विजय माल्या को देश छोड़ने में आसानी तब हुई जब सीबीआई ने माल्या के खिलाफ जारी लुकआउट नोटिस में बदलाव कर दिया। दरअसल माल्या के खिलाफ सीबीआई के पहले जारी लुकआउट नोटिस में माल्या के देश से बाहर जाने के दौरान उन्हें हिरासत में लिया जा सकता था। बाद में सीबीआई ने इसे बदलते हुए माल्या को हिरासत में लेने के बजाय सिर्फ उनकी यात्रा योजना के बारे में जानकारी देने तक सीमित कर दिया था।
सीबीआई के लिए यह सूचना और शर्मनाक स्थिति पैदा करने वाली है। जांच एजेंसी पर पहले ही माल्या के प्रति नरमी दिखाने का आरोप लग रहा है। माल्या के खिलाफ आईडीबीआई बैंक के 900 करोड़ रुपये के लोन डिफाल्ट मामले में सीबीआई जांच चल रही है। सूत्रों ने बताया कि 16 अक्टूबर, 2015 को लुकआउट सर्कुलर जारी कर सीबीआई ने कहा था कि अगर माल्या देश छोड़ने की कोशिश करते हैं तो एक्जिट पॉइंट पर उन्हें हिरासत में ले लिया जाये। करीब एक महीने बाद ही नवंबर में एजेंसी ने संशोधित सर्कुलर में आव्रजन ब्यूरो से कहा कि वह उसे माल्या के विदेश जाने और यात्रा योजना की जानकारी उपलब्ध कराए।इस बीच सूत्रों ने बताया कि उद्योगपति विजय माल्या दो मार्च को विदेश जाने से पहले कम से कम चार बार विदेश यात्रा पर गए थे। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उनकी गतिविधियों की निगरानी के लिए 16 अक्टूबर को लुकआउट नोटिस जारी किया था। इस निगरानी नोटिस के बाद माल्या चार बार विदेश जा चुके हैं। सूत्रों ने बताया कि माल्या अक्टूबर के अंतिम हफ्ते में विदेश गए और नवंबर में स्वदेश लौटे। इसके अलावा उन्होंने दिसंबर के पहले और आखिरी हफ्ते में दो बार विदेश यात्रा की। इसके अलावा वह जनवरी में भी विदेश गए। अब उनके दो मार्च को लंदन जाने की खबर है।
निगरानी नोटिस जिसने जारी किया है, यह उस प्राधिकरण पर निर्भर करता है कि जब तक वे आव्रजन ब्यूरो को संबंधित व्यक्ति को हिरासत में लेने या विमान पकड़ने से रोकने के लिए नहीं कहता, कोई कार्रवाई नहीं की जाती। सूत्रों ने कहा कि सीबीआई ने लुकआउट नोटिस में बदलाव किया। उसके बाद आव्रजन ब्यूरो ने माल्या को रोकने का प्रयास नहीं किया। जितनी बार भी वह विदेश गए सीबीआई को उसकी जानकारी दी गई।
यह पूछे जाने पर कि सीबीआई ने उनका पासपोर्ट जब्त करने या उनको विदेश जाने से रोकने के लिए क्यों नहीं कहा, एजेंसी के सूत्रों ने बताया कि माल्या जांच में सहयोग कर रहे थे और सवालों का जवाब देने के लिए हाजिर हो रहे थे। साथ ही वह एजेंसी को दस्तावेज भी उपलब्ध करा रहे थे। सीबीआई सूत्रों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के अनुसार किसी व्यक्ति का पासपोर्ट तभी जब्त किया जा सकता है, जब उसके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया हो या फिर उस पर कोई मुकदमा लंबित हो।
ऐसे में जबकि वह सहयोग कर रहे थे, उन्हें विदेश जाने से रोकने का सवाल नहीं उठता। सूत्रों ने कहा कि लुकआउट नोटिस जारी होने के बाद वह 9-12 दिसंबर, 2015 के दौरान तीन बार सवालों का जवाब देने के लिए पेश हुए। एक बार दिल्ली और दो बार मुंबई में। सूत्रों ने कहा कि एजेंसी उनकी आवाजाही पर निगाह रख रही थी, लेकिन उसने इसलिए किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया, क्योंकि वह हर बार देश लौट आते थे।
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