केंद्र ने भी माना मोदी का लोहा
एक तरफ जहां कांग्रेस के बड़े नेता नरेंद्र मोदी के गुजरात मॉडल को खारिज कर रहे हैं, वहीं केंद्र ने दिल्ली सरकार को सूरत शहर की तर्ज पर दिल्ली को चमकाने की सलाह दी है। केंद्र ने कहा है कि जिस प्रकार सूरत में रिंग रोड बनाने के लिए फंड का इंतजाम किया गया, उसे राजधानी में भी अपनाया जा सकता है
By Edited By: Updated: Mon, 15 Apr 2013 08:07 AM (IST)
अजय पांडेय, नई दिल्ली। एक तरफ जहां कांग्रेस के बड़े नेता नरेंद्र मोदी के गुजरात मॉडल को खारिज कर रहे हैं, वहीं केंद्र ने दिल्ली सरकार को सूरत शहर की तर्ज पर दिल्ली को चमकाने की सलाह दी है। केंद्र ने कहा है कि जिस प्रकार सूरत में रिंग रोड बनाने के लिए फंड का इंतजाम किया गया, उसे राजधानी में भी अपनाया जा सकता है। प्रदेश सरकार सूरत नगर निगम द्वारा अपनाए गए प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर फंड जुटाने के इंतजाम में जुट गई है।
गौरतलब है कि कि मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भी आए दिन नरेंद्र मोदी पर तीखे प्रहार करती रहती हैं। मुख्य सचिव दीपक मोहन स्पोलिया ने हाल ही में विभिन्न महकमों के अधिकारियों की बैठक बुलाकर उनसे सूरत मॉडल पर चर्चा कर दिल्ली में लागू करने की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया। दिल्ली सरकार को भेजे गए पत्र में केंद्र ने कहा कि सूरत मॉडल की खासियत है कि इसे अमल में लाने के लिए केंद्र या राज्य सरकार को अपने खजाने से कुछ भी खर्च नहीं करना पड़ रहा है। दिल्ली में अर्बन एक्सटेंशन रोड विकास प्राधिकरण को बनानी है। इन सड़कों के आसपास पर्याप्त खाली जमीन है, जिसे पीपीपी मॉडल के तहत विकसित किया जा सकता है।
सूरत मॉडल के बारे में बताया गया कि सूरत नगर निगम व सूरत शहरी विकास प्राधिकरण ने मिलकर 11960 करोड़ रुपये एकत्र करने की योजना बनाई है। इसके तहत किसानों से जमीन लेकर उसे विकसित किया जाएगा। इसके बाद 60 प्रतिशत विकसित हिस्सा किसानों को वापस कर दिया जाएगा। बाकी बचे 40 प्रतिशत हिस्से में 15 से 20 प्रतिशत राशि सड़कों पर, पांच प्रतिशत पार्क, खेल के मैदान, बगीचे आदि पर खर्च की जाएगी। शेष पांच प्रतिशत में स्कूल, डिस्पेंसरी आदि सार्वजनिक सुविधाएं विकसित की जाएंगी तथा 10 से 15 प्रतिशत जमीन का हिस्सा आवासीय, व्यावसायिक तथा औद्योगिक इस्तेमाल के लिए बेचा जाएगा।
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