आंतकी सूचनाएं साझा करने के लिए केंद्र सरकार ने की ठोस पहल
यह पहला मौका है जब पाकिस्तान ने अपने यहां चल रही आतंकी गतिविधियों से जुड़ी कोई गोपनीय सूचना भारत से साझा की है। लेकिन यह अंतिम मौका नहीं होगा। दोनों देशों के बीच आतंक से जुड़ी गतिविधियों के आदान प्रदान करने की एक ठोस व्यवस्था होगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । यह पहला मौका है जब पाकिस्तान ने अपने यहां चल रही आतंकी गतिविधियों से जुड़ी कोई गोपनीय सूचना भारत से साझा की है। लेकिन यह अंतिम मौका नहीं होगा। दोनों देशों के बीच आतंक से जुड़ी गतिविधियों के आदान प्रदान करने की एक ठोस व्यवस्था होगी। व्यवस्था का ढांचा तैयार किया जा रहा है। पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय रिश्तों को सुधारने पर नए सिरे से दांव लगा रही राजग सरकार इस व्यवस्था को अपनी एक अहम कूटनीतिक कामयाबी के तौर पर भी प्रचारित करेगी। दिसंबर, 2015 में पाक की अचानक यात्रा पर पहुंचे मोदी की आलोचना कर रहे राहुल गांधी को यह राजग की तरफ से करारा जबाव भी होगा।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि पठानकोट हमले के बाद भी पाकिस्तान के साथ संपर्क नहीं तोड़ने का नतीजा है कि अभी तक वह भारत में हमला करने वाले आतंकियों से पल्ला झाड़ता था लेकिन अब उनकी गतिविधियों की सूचना भारत से साझा कर रहा है। पठानकोट हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय वार्ता तो टाल दी गई है लेकिन दोनों देशों के एनएसए और विदेश सचिव लगातार संपर्क में है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और पाकिस्तान के एनएसए नासीर अली जनजुआ ने दिसंबर, 2015 में बैंकाक में मुलाकात कर द्विपक्षीय रिश्ते को नई गति देने का काम किया था। इस मुलाकात में ही तय हुआ था कि आतंकी मामलों पर भारत और पाकिस्तान के बीच सिर्फ एनएसए स्तर पर बातचीत होगी।