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आंतकी सूचनाएं साझा करने के लिए केंद्र सरकार ने की ठोस पहल

यह पहला मौका है जब पाकिस्तान ने अपने यहां चल रही आतंकी गतिविधियों से जुड़ी कोई गोपनीय सूचना भारत से साझा की है। लेकिन यह अंतिम मौका नहीं होगा। दोनों देशों के बीच आतंक से जुड़ी गतिविधियों के आदान प्रदान करने की एक ठोस व्यवस्था होगी।

By Lalit RaiEdited By: Updated: Mon, 07 Mar 2016 09:32 PM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । यह पहला मौका है जब पाकिस्तान ने अपने यहां चल रही आतंकी गतिविधियों से जुड़ी कोई गोपनीय सूचना भारत से साझा की है। लेकिन यह अंतिम मौका नहीं होगा। दोनों देशों के बीच आतंक से जुड़ी गतिविधियों के आदान प्रदान करने की एक ठोस व्यवस्था होगी। व्यवस्था का ढांचा तैयार किया जा रहा है। पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय रिश्तों को सुधारने पर नए सिरे से दांव लगा रही राजग सरकार इस व्यवस्था को अपनी एक अहम कूटनीतिक कामयाबी के तौर पर भी प्रचारित करेगी। दिसंबर, 2015 में पाक की अचानक यात्रा पर पहुंचे मोदी की आलोचना कर रहे राहुल गांधी को यह राजग की तरफ से करारा जबाव भी होगा।

सरकारी सूत्रों का कहना है कि पठानकोट हमले के बाद भी पाकिस्तान के साथ संपर्क नहीं तोड़ने का नतीजा है कि अभी तक वह भारत में हमला करने वाले आतंकियों से पल्ला झाड़ता था लेकिन अब उनकी गतिविधियों की सूचना भारत से साझा कर रहा है। पठानकोट हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय वार्ता तो टाल दी गई है लेकिन दोनों देशों के एनएसए और विदेश सचिव लगातार संपर्क में है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और पाकिस्तान के एनएसए नासीर अली जनजुआ ने दिसंबर, 2015 में बैंकाक में मुलाकात कर द्विपक्षीय रिश्ते को नई गति देने का काम किया था। इस मुलाकात में ही तय हुआ था कि आतंकी मामलों पर भारत और पाकिस्तान के बीच सिर्फ एनएसए स्तर पर बातचीत होगी।

बताते चलें कि दो दिन पहले पाक के एनएसए की तरफ से यह खबर साझा की गई है कि वहां के कुछ आतंकी समूह भारत में पठानकोट जैसे बड़ा हमला करने की साजिश रच रहे हैं। यह हमला शिवरात्रि पर्व के दौरान हो सकता था। जानकार बताते हैं कि आतंकी सूचनाओं के आदान-प्रदान करने के लिए जो अंतरराष्ट्रीय समझौते हुए हैं उस पर भारत और पाकिस्तान दोनों ने हस्ताक्षर किये हैं लेकिन जमीनी तौर पर दोनों देशों के बीच ऐसी व्यवस्था नहीं विकसित हो पाई थी। मुंबई हमले का उदाहरण सबके सामने है जिसकी जांच में भी पाक की एजेंसियों ने पूरी मदद नहीं की है। जानकार इसे पीएम नरेंद्र मोदी की तरफ से पाक से रिश्ते सुधारने की व्यक्तिगत स्तर पर किये गये प्रयासों का भी नतीजा मान रहे हैं। मोदी 25 दिसंबर, 2015 को पीएम नवाज शरीफ के घर गये थे। इसको लेकर वह विपक्षी दलों के निशाने पर भी है। पिछले हफ्ते ही कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार की पाक नीति की जम कर भ‌र्त्सना की थी और कहा था कि संप्रग ने जिस तरह से पाक को अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में अलग थलग किया था उसे यूपीए ने अब आजाद कर दिया है। पाक के बदले रवैये को राजग अपनी अहम कूटनीतिक जीत बताने की तैयारी में है।

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