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तीन साल में दिखेगी गंगा की स्वच्छ धारा: उमा भारती

गंगा की स्वच्छता को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार ने समय सीमा तय कर ली है। केंद्रीय जल संसाधन व गंगा पुनरुद्धार मंत्री उमा भारती ने दावा किया कि अगले तीन साल में गंगा की कम से कम एक अविरल धारा सुनिश्चित कर ली जाएगी। जल के महत्व को देखते हुए सरकार 2015-16 को जल संरक्षण वर्ष के रूप में भी मनाएगी। निर्मल गंगा मोदी सरकार क

By Edited By: Updated: Wed, 20 Aug 2014 10:14 PM (IST)
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नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। गंगा की स्वच्छता को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार ने समय सीमा तय कर ली है। केंद्रीय जल संसाधन व गंगा पुनरुद्धार मंत्री उमा भारती ने दावा किया कि अगले तीन साल में गंगा की कम से कम एक अविरल धारा सुनिश्चित कर ली जाएगी। जल के महत्व को देखते हुए सरकार 2015-16 को जल संरक्षण वर्ष के रूप में भी मनाएगी।

निर्मल गंगा मोदी सरकार के अति महत्वपूर्ण एजेंडे में शामिल है। यही कारण है कि सरकार गठन के पहले दो महीने में ही नमामि गंगा योजना की घोषणा भी हो गई और शुरुआती बजट भी आवंटित कर दिए गए हैं। बुधवार को एक कार्यक्रम में उमा ने समय सीमा भी तय कर दी। उन्होंने कहा कि सरकार पूरी गंभीरता से काम कर रही है। अगले कुछ महीनों में पूरी योजना तैयार हो जाएगी। उमा ने कहा, मैं चाहती हूं कि अगले तीन साल में गंगा की अधिकतर गंदगी दूर हो जाए और पर्यावरणीय शुद्धता के साथ धारा सुनिश्चित हो जाए। हर दिशा में काम किया जा रहा है।

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी गंगा स्वच्छता को जनता का अभियान बनाने की अपील की थी। यमुना को लेकर भी काम किया जा रहा है।

एक सवाल के जवाब में उमा ने कहा कि दिल्ली के उप राज्यपाल इस बाबत उनसे मिलने वाले हैं। डीडीए के अंदर एक इकाई बना दी गई है।

उमा भारती ने कहा कि वर्ष 2015-16 जल संरक्षण पर केंद्रित होगा। विकास के लिए जल अहम है। लिहाजा इसे भी जन अभियान की तरह मनाया जाएगा। उन्होंने नदियों के जोड़ने को भी जरूरी बताया। जल की आपूर्ति के लिए भी यह जरूरी है। इसी क्रम में उन्होंने सरस्वती नदी के अस्तित्व को ढूंढे़ जाने की कोशिशों की भी व्याख्या की और कहा कि पहचान हुई तो जल के भंडार का पता भी लगाया जा सकता है जो सिंचाई में काम आएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि पर्यावरण का पूरा ध्यान रखते हुए नदियों को जोड़ने का काम किया जाएगा। वह पहले ही कह चुकी हैं कि संबंधित राज्यों की सहमति के बगैर उस राज्य में नदियों को जोड़ने का काम नहीं होगा।

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