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आसाराम प्रकरण: ट्रायल सुनवाई में पीड़िता की पहली जीत

कथावाचक आसाराम की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। सिविल कोर्ट में दुष्कर्म केस की ट्रायल बहस में कोर्ट ने पाक्सो समेत डेढ़ दर्जन धाराओं को बरकरार रखा है। कोर्ट के फैसले से पीड़ित परिवार काफी राहत महसूस कर रहा है। अब कोर्ट में पीड़िता और उसके माता-पिता समेत गवाहों के बयान होंगे। जोधपुर को

By Edited By: Updated: Sat, 08 Feb 2014 12:26 AM (IST)

शाहजहांपुर। कथावाचक आसाराम की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। सिविल कोर्ट में दुष्कर्म केस की ट्रायल बहस में कोर्ट ने पाक्सो समेत डेढ़ दर्जन धाराओं को बरकरार रखा है। कोर्ट के फैसले से पीड़ित परिवार काफी राहत महसूस कर रहा है। अब कोर्ट में पीड़िता और उसके माता-पिता समेत गवाहों के बयान होंगे।

जोधपुर कोर्ट में दुष्कर्म केस की ट्रायल सुनवाई में गुरुवार को पहला बड़ा फैसला आया। जिस पाक्सो एक्ट को हटवाने के लिए आसाराम समर्थकों ने फर्जी शैक्षिक जन्म प्रमाण-पत्र हासिल करने के लिए शाहजहांपुर से हरियाणा तक एड़ी-चोटी का जोर लगाया और शिक्षण संस्थाओं के प्रतिनिधियों को प्रलोभन के साथ धमकी दी, वह धारा कोर्ट ने बरकरार रखी। कोर्ट ने छिंदवाड़ा गुरुकुल की वार्डेन शिल्पी, प्रबंधक शरद चंद्र, रसोइया प्रकाश चंद्र, सेवादार शिवा को भी दुष्कर्म मामले में आरोपी मान लिया है।

आसाराम की पत्रिका में पीड़िता की तुलना आतंकी से की गई

अकूत संपत्तिके मालिक हैं आसाराम और साई

बचाव पक्ष की दलील पर कोर्ट ने एक मात्र 26 जेजे एक्ट को चार्जशीट से हटाने पर सहमति जताते हुए मामूली राहत दी। पीड़िता के पिता को अपराह्न कोर्ट के फैसले की जानकारी उनके अधिवक्ता प्रमोद कुमार वर्मा ने दी। पीड़िता के पिता ने ट्रायल बहस के बाद आए पहले फैसले को बड़ी जीत माना है। उन्होंने कहा जोधपुर पुलिस की एसीपी चंचल मिश्र और मुक्ता पारीख ने न्याय की लड़ाई में कर्तव्य निर्वहन के साथ बेटी का हौसला बढ़ाया।

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