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भारत से संबंध मजबूत करने के प्रयास में लगा चीन

भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों में बेहतर सामंजस्य की इच्छा दिखाते हुए चीन ने एक नई सुरक्षा अवधारणा को बढ़ावा देने की बात कही है। इसमें भारत-चीन संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए आपसी विश्वास और सहयोग को आधार बनाने की बात है। भारत में चीन के राजदूत वी वी ने कहा कि भारत और चीन को आपसी लाभ को ध्यान

By Edited By: Updated: Wed, 11 Jun 2014 06:33 PM (IST)
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नई दिल्ली। भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों में बेहतर सामंजस्य की इच्छा दिखाते हुए चीन ने एक नई सुरक्षा अवधारणा को बढ़ावा देने की बात कही है। इसमें भारत-चीन संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए आपसी विश्वास और सहयोग को आधार बनाने की बात है।

भारत में चीन के राजदूत वी वी ने कहा कि भारत और चीन को आपसी लाभ को ध्यान में रखते हुए मिलकर काम करना चाहिए। वैश्विक अर्थव्यवस्था के काल में किसी भी प्रकार के संरक्षणवाद से बचना जरूरी है। वे इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस एंड स्ट्रेटजिक अफेयर्स में बोल रहे थे। इससे तीन दिन पहले ही चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के विशेष प्रतिनिधि और विदेश मंत्री वांग यी ने भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ विस्तृत बातचीत की थी। इस दौरान दोनों देशों ने संबंधों को बेहतर करने के साथ-साथ वायु सेना और नौसेना के संयुक्त अभ्यास की संभावनाएं तलाशने की बात कही। दोनों देशों की थल सेनाओं ने अब तक तीन बार संयुक्त अभ्यास किया है और इस साल नवंबर में भारत में चौथे संयुक्त अभियान पर भी सहमति बनी है। बेहतर आर्थिक और व्यापारिक संबंधों की जरूरत पर बल देते हुए वी ने कहा कि दोनों देशों को साझा विकास पर भी दृढ़ता से सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को शांतिपूर्ण सहअस्तित्व, बराबर भागीदारी और समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लक्ष्य को पाने के लिए प्रयास करना चाहिए। दोनों देशों को एक दूसरे के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए। चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2013 में दोनों देशों के बीच का द्विपक्षीय व्यापार 65 अरब डॉलर के करीब पहुंच गया था। हालांकि इस बीच द्विपक्षीय व्यापार में करीब 40 अरब का व्यापार घाटा भारत के लिए चिंता का विषय है। सुरक्षा के मुद्दे पर वी ने एशिया में स्थायी सुरक्षा की वकालत की और कहा कि देशों के बीच के मसले ताकत से नहीं बातचीत से हल किए जाने चाहिए। सभी को दुनिया की विविधता का सम्मान करना चाहिए और किसी भी देश को अपने विचार थोपने का प्रयास नहीं करना चाहिए।

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