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भारत के लिए एनएसजी दावेदारी में चीन ने खड़ी की पाक की दीवार

एनएसजी की सदस्यता के भारतीय दावे पर वियना में चल रही बैठक में चीन ने विरोधी रुख और कड़ा कर लिया है।

By anand rajEdited By: Updated: Fri, 10 Jun 2016 11:14 AM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में शामिल होने में अंतरराष्ट्रीय बिरादरी का समर्थन जुटाने निकले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोशिशों को एक और सफलता मिली है।

इस प्रतिष्ठित समूह में शामिल होने की भारत की कोशिशों का अब तक कड़ा विरोध करने वाले मैक्सिको ने समर्थन करने का वादा किया है। लेकिन एनएसजी की सदस्यता के भारतीय दावे पर वियना में चल रही बैठक में चीन ने विरोधी रुख और कड़ा कर लिया है। उसने पाकिस्तान का पक्ष लेते हुए परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत न करने को मुद्दा बनाकर भारतीय कोशिश का विरोध किया है।

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गौरतलब है कि पाकिस्तान ने भारत के साथ उसे भी एनएसजी का सदस्य बनाने की मांग की है।इससे पहले मैक्सिको के राष्ट्रपति एनरिक पेना नीटो और पीएम मोदी के बीच मैक्सिको सिटी में हुई बातचीत में एनएसजी की सदस्यता को लेकर सहमति बनी।

स्विट्जरलैंड के बाद मैक्सिको का समर्थन हासिल करना मोदी की बड़ी कूटनीतिक सफलता है। लेकिन प्रेट्र के अनुसार, गुरुवार को ही विएना में भारत के दावे को लेकर हो रही 48 देशों की दो दिवसीय बैठक में चीन विरोधी गुट का नेतृत्व कर रहा है। एक राजनयिक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि भारत के विरोध में चीन अपने पक्ष को और मजबूत कर रहा है।

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दरअसल, तुर्की, आयरलैंड, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका और आस्ट्रिया की ओर से भी अभी समर्थन की बात नहीं कही गई है। माना जाता है कि ये भी चीन की मदद कर रहे हैं। ये सभी देश पहले भी भारत के एनएसजी में प्रवेश का विरोध करते रहे हैं। किसी भी एनएसजी सदस्य देश के विरोध से नए दावेदार की लक्ष्य प्राप्ति में अड़ंगा लग सकता है।

मनाने की कोशिश भी

वैसे, माना जा रहा है कि तुर्की और आयरलैंड को भारत के पक्ष में वोटिंग करने के लिए अमेरिका की तरफ से मनाने की कोशिश की जाएगी। इसी तरह जापान अपनी तरफ से न्यूजीलैंड से बात कर सकता है। अमेरिका और जापान- दोनों ने ही हाल में कहा है कि वे भारत की दावेदारी के पक्ष में दूसरे देशों को मनाने की कोशिश करेंगे। भारतीय पक्ष को उम्मीद है कि दक्षिण अफ्रीका को भी रजामंद कर लिया जाएगा।

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कैरी ने लिखा पत्र

अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने पत्र लिख कर भारत का समर्थन न करने वाले एनएसजी के सदस्य देशों से अपील की है कि वे भारत के प्रवेश को बाधित न करने पर सहमति जताएं। पत्र में लिखा गया है कि भारत ने एनएसजी के सभी लक्ष्यों और अंतरराष्ट्रीय परमाणु निरस्त्रीकरण के प्रति मजबूत समर्थन किया है। वह एनएसजी की सदस्यता का हकदार है।

मतदान 20 से 24 के बीच

इस मुद्दे पर दक्षिण कोरिया की राजधानी सिओल में 20 जून से 24 जून के बीच मतदान की संभावना है।

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चीन का विरोध पाक के समर्थन में

पाकिस्तान दोहरा प्रयास कर रहा है। मोदी का अमेरिका दौरा पूरा होते ही उसने अमेरिका से उसे भी एनएसजी सदस्यता पर समर्थन देने का आग्रह किया है। उसका कहना है कि पिछले कुछ सालों में उसने एनएसजी सदस्यता के तय मापदंड को काफी हद तक पूरा कर दिया है। इसके साथ ही चीन के सहयोग से वह एनएसजी के कुछ सदस्यों को एकजुट करने की कोशिश कर रहा है ताकि भारत के प्रवेश को रोका जा सके। पाकिस्तान की चिंता का सबसे बड़ा कारण है कि चीन को छोड़कर इनमें से कोई भी देश अमेरिकी दबाव के आगे टिकने की स्थिति में नहीं है। यहां तक कि चीन भी एक स्तर के बाद भारत के विरोध में सीधे आगे नहीं आएगा।

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