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उत्तराखंड में घुसपैठ से पहले चीनी सेना ने चलाया था टोही मिशन

चीन ने एक बार फिर से दादागिरी दिखाते हुए उत्तराखंड के बाराहोती इलाके का हवाई सर्वे किया है। इस दौरान उसके विमान ने यहां की तस्वीरें भी लीं।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 31 Jul 2016 09:41 PM (IST)
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नई दिल्ली, प्रेट्र : चीनी सेना ने उत्तराखंड के चमोली जिले के बाराहोटी इलाके में घुसपैठ से पहले सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) से लैस उच्च श्रेणी के विमान का इस्तेमाल कर एक टोही मिशन चलाया था। एसएआर व्यापक क्षेत्र की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें उपलब्ध कराने में सक्षम है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के 'तुपोलोवतु 153एम' विमान ने उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के अंतर्गत आने वाले मिडिल सेक्टर में इस साल के शुरू में भी दो से तीन उड़ानें भरी थीं। बाराहोटी में घुसपैठ के बाद विभिन्न स्रोतों से मिली खुफिया जानकारियों को एक साथ जोड़ते हुए अधिकारियों ने यह दावा किया। बताया कि इसके अलावा पिछले तीन महीनों में इस विमान ने कम से कम तीन और उड़ाने भरी थीं।

इस विमान का निर्माण पूर्व सोवियत संघ की प्रौद्योगिकी के आधार पर चीनी कंपनियों द्वारा किया जाता है।पांच मिनट तक उड़ते रहे चीनी हेलीकॉप्टरसूत्रों के मुताबिक, बाराहोटी क्षेत्र के असैन्य इलाके में 19 जुलाई को कम से कम 20 से 25 चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा के अंदर प्रवेश किया था। इस दौरान चीनी हेलिकॉप्टर भी भारतीय हवाई क्षेत्र में पांच मिनट से अधिक समय तक उड़ते रहे।

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सूत्रों ने बताया कि चीनी सैनिकों ने उस दिन सर्वे करने गए चमोली के जिलाधिकारी सहित आइटीबीपी अधिकारियों की टीम को बाराहोटी से वापस भेज दिया था। चीन का 'वु-जे' क्षेत्र बतायाचीनियों ने दावा किया था कि यह उनकी जमीन है। वे बाराहोटी को अपना 'वु-जे' इलाका बता रहे थे। घुसपैठ के दौरान लगभग पांच मिनट तक चीन का एक हेलिकॉप्टर बाराहोटी मैदान के ऊपर मंडराता रहा था। यह आशंका जताई जा रही है कि इसने टोही मिशन के दौरान क्षेत्र की हवाई फोटोग्राफी की। इसकी पहचान पीएलए के लड़ाकू झिबा सीरीज के हेलिकॉप्टर के रूप में की गई है।

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तुपोलोवतु विमान की खासियतभारत के खिलाफ टोही मिशन चलाने वाले चीनी विमान 'तुपोलोवतु 153एम' 40 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ता है। रडार की नजरों से बचते हुए यह 60 हजार फीट की ऊंचाई तक भी जाकर साफ तस्वीरें उतार सकता है।

इसमें एक एसएआर भी लगा होता है, जो खराब मौसम या रात में भी अच्छी गुणवत्ता वाली तस्वीरें उपलब्ध करा सकता है। बाराहोटी उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के 'मिडिल सेक्टर' में पड़ने वाली उन तीन सीमा चौकियों में से एक है, जहां आइटीबीपी के जवानों को हथियार ले जाने की अनुमति नहीं है।