नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। भारत में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद चीन भी रिश्तों की नई कड़ियां जोड़ने को बेताब है। एक पखवाड़े के भीतर उच्च स्तरीय संपर्क की दूसरी कड़ी में रविवार को भारत आए चीनी विदेश मंत्री यांग यी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की। चीनी राष्ट्रपति के विशेष दूत बन आए यांग के साथ यूं तो सीमा विवाद और व्यापार असंतुलन घटाने समेत द्विपक्षीय संबंधों के हर मुद्दे पर बात हुई।
By Edited By: Updated: Sun, 08 Jun 2014 09:39 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। भारत में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद चीन भी रिश्तों की नई कड़ियां जोड़ने को बेताब है। एक पखवाड़े के भीतर उच्च स्तरीय संपर्क की दूसरी कड़ी में रविवार को भारत आए चीनी विदेश मंत्री यांग यी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की। चीनी राष्ट्रपति के विशेष दूत बन आए यांग के साथ यूं तो सीमा विवाद और व्यापार असंतुलन घटाने समेत द्विपक्षीय संबंधों के हर मुद्दे पर बात हुई।
इस बीच निजाम के बदले सुरों को स्पष्ट करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि चीन के साथ स्पर्धा के लिए तैयारी सरकार का एजेंडा है। वहीं चीनी विदेश मंत्री ने भी कहा कि भारत के विकास का वह समर्थन और सहयोग करता है। यांग सोमवार को प्रधानमंत्री से भी मिलेंगे।
यांग यी ने भारतीय विदेश मंत्री के साथ करीब साढ़े तीन घंटे की मुलाकात में इस बात को रेखांकित किया कि सीमा विवाद के निपटारे तक वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बरकरार रखी जाए। सुषमा स्वराज ने हिंदी में पेश दलीलों के साथ द्विपक्षीय व्यापार असंतुलन दूर करने के उपायों पर खासा जोर दिया। बैठक के बाद विदेश मंत्रालय में चीन मामलों के प्रभारी संयुक्त सचिव गौतम बंबावाले ने बताया कि स्वराज ने विशेष आर्थिक जोन व औद्योगिक गलियारों के जरिये निवेश सुविधाएं उपलब्ध कराने भी बात की। उल्लेखनीय है कि चीनी निवेश के जरिये दोनों मुल्कों के बीच व्यापार असंतुलन घटाने में मदद मिलेगी। मंत्रालय प्रवक्ता ने दोनो नेताओं के बीच इस पहली वार्ता को काफी सौहार्दपूर्ण, उपयोगी और व्यापक विषयों को समेटने वाली करार दिया। दोनों पक्षों के बीच इस बात की सहमति बनी है कि आना वाले छह महीनों के दौरान द्विपक्षीय के साथ ही बहुराष्ट्रीय सम्मेलनों के मौकों पर मुलाकात की संभावनाओं का भी उपयोग किया जाएगा। संभावित मुलाकातों के लिए एक कैलेंडर बनाने पर भी बात हुई। चीनी विदेश मंत्री सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ रविवार सुबह दो दिन के भारत दौरे पर आए हैं। यांग ने बातचीत के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और प्रधानमंत्री मोदी को चीन यात्रा का न्योता भी दिया।
विदेश मंत्रालय के अनुसार बैठक में चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि भारत में आई नई सरकार ने एक पुरानी सभ्यता में नई ऊर्जा का संचार किया है। यांग ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी उत्सुकता के साथ भारत में चुनावों की ओर देख रही थी और चीन भी भारत की नई सरकार के साथ काम करने के लिए उत्साहित था। चीनी विदेश मंत्री के मुताबिक भारत और चीन के राष्ट्रीय सपनों में कई समानताएं हैं। भारत के विकास का चीन स्वागत और समर्थन करता है और साथ ही नजदीकी सहयोग भी चाहता है। इस बीच चीनी विदेश मंत्री के साथ सोमवार को होने वाली मुलाकात से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम मानते हैं चीन के साथ हमारी स्पर्धा है। लेकिन भारत स्केल(व्यापकता), स्किल(दक्षता) और स्पीड(गति) के सहारे इस स्पर्धा में टिका रह सकता है। महत्वपूर्ण है कि मोदी के सत्ता संभालने के बाद उन्हें बधाई का पहला फोन करने वाले चीन के प्रधानमंत्री ली कछ्यांग थे। चीनी प्रधानमंत्री के साथ वार्ता में मोदी ने चीन से रिश्ते मजबूत करने की जरूरत पर जोर दिया था। चीनी विदेश मंत्री के दौरे को राष्ट्रपति शी चिनफिंग की अगले महीनों में होने वाली भारत यात्रा की तैयारी की कड़ी भी माना जा रहा है।
नई सरकार के साथ संवाद के दरवाजे खोल बीजिंग गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर मोदी की पुरानी चीन यात्राओं में हुए संपर्को को भुनाने की जुगत में है। साथ ही क्षेत्रीय संतुलन के लिहाज से चीन की कोशिश जापान के साथ सहयोग को लेकर मोदी सरकार के नजरिए को भांपने की भी है। महत्वूपर्ण है कि मोदी को अगले माह जापान जाना है।
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