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गोमांस परोसने वाले आउटलेट ने हिटलर से की मोदी की तुलना

गोमांस पर पाबंदी को लेकर एक फूड आउटलेट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना हिटलर से कर दी है। इस आउटलेट ने हाल ही में अपना दूसरा फूड आउटलेट चर्च स्ट्रीट में खोला है। यहां से प्रकाशित होने वाले एक समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार स्मॉलाजी नामक फूड आउटलेट

By Rajesh NiranjanEdited By: Updated: Wed, 13 May 2015 04:21 PM (IST)

बेंगलुरु। गोमांस पर पाबंदी को लेकर एक फूड आउटलेट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना हिटलर से कर दी है। इस आउटलेट ने हाल ही में अपना दूसरा फूड आउटलेट चर्च स्ट्रीट में खोला है।

यहां से प्रकाशित होने वाले एक समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार स्मॉलाजी नामक फूड आउटलेट ने एक साल पहले ही उलसूर में आउटलेट खोला था। स्मॉलाजी गोमांस से बने व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध है। चर्च स्ट्रीट में शुरू किए गए आउटलेट का प्रचार करने के लिए एक वाल आर्ट पर बहुत से पोस्टर चिपकाए गए हैं। पोस्टरों का उद्देश्य ग्राहकों को गोमांस खाने के लिए ललचाना है। परंतु इन्हीं पोस्टर के बीच एक ऐसा भी पोस्टर है जिसमें खाने की आजादी की अभिव्यक्ति की के साथ-साथ आजादी की भी हिमायत की गई है। इसमें एक गाय का स्केच बना हुआ है। गाय के शरीर पर एक तरफ मोदी तो दूसरी तरफ हिटलर का स्केच है। इसके नीचे लिखा है- गोमांस खाना हमारी पहचान है। गोमांस पर प्रतिबंध ऐतिहासिक जड़ता है।

मोदी की तुलना हिटलर से करने पर रेस्तरां का कहना है कि भारत लोकतांत्रिक देश है और यहां पर किसी को भी कुछ भी खाने या कहने का अधिकार है। स्मालीज के पार्टनर निखिल हेगड़े ने कहा कि हम किसी की भावनाओं को आहत नहीं करना चाहते। हमारा मानना है कि हर किसी को अपनी पसंद के हिसाब से खाने की आजादी होनी चाहिए। भारत लोकतांत्रिक देश है और मुझे लगता है कि गोमांस खाने के लिए किसी की इजाजत की जरूरत नहीं है।

इसके लिए मोदी पर ही निशाना साधना कितना उचित है पूछने पर उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री मोदी की कई सारी नीतियों का प्रशंसक हूं। परंतु खाने-पीने पर किसी भी तरह की पाबंदी स्वीकार नहीं है। गोमांस के अलावा गुजरात में तो शराब पर भी पाबंदी है। मुझे लगता है कि यह सही नहीं है।

निखिल ने कहा, अभी तक किसी भी ग्राहक ने हमारे गोमांस बेचने पर आपत्ति नहीं जताई है। हमारी करीब 50 फीसद बिक्री गोमांस वालेबर्गर से ही होती है। मांसाहार करने वाले 80 फीसद ग्राहकों को गोमांस पसंद है। हेगडे के अनुसार गोमांस पर प्रतिबंध का असर व्यवसाय पर भी पड़ा है।

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