मुख्य न्यायाधीश ने सरकार को चेताया
पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाए जाने की सिफारिश नकारने के मुद्दे पर न्यायपालिका और सरकार आमने-सामने आ गई है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढा ने सुब्रमण्यम का नाम सिफारिशों से अलग करने के सरकार के एकतरफा फैसले पर आपत्ति जताते हुए मंगलवार को कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसा होने पर पद छोड़ने तक की बात कर मुख्य न्यायाधीश ने सरकार को आगाह कर दिया कि वह न्यायपालिका की स्वायत्तता से खिलवाड़ न करे। जज बनने की सहमति वापस लेने का पत्र मीडिया में जारी करने के सुब्रमण्यम के आचरण पर भी उन्होंने अफसोस जताया।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाए जाने की सिफारिश नकारने के मुद्दे पर न्यायपालिका और सरकार आमने-सामने आ गई है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढा ने सुब्रमण्यम का नाम सिफारिशों से अलग करने के सरकार के एकतरफा फैसले पर आपत्ति जताते हुए मंगलवार को कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसा होने पर पद छोड़ने तक की बात कर मुख्य न्यायाधीश ने सरकार को आगाह कर दिया कि वह न्यायपालिका की स्वायत्तता से खिलवाड़ न करे। जज बनने की सहमति वापस लेने का पत्र मीडिया में जारी करने के सुब्रमण्यम के आचरण पर भी उन्होंने अफसोस जताया।
सुब्रमण्यम की नियुक्ति को लेकर दो सप्ताह से चल रहे विवाद पर चुप्पी तोड़ते हुए जस्टिस लोढा ने सरकार को दो टूक शब्दों में बता दिया कि संस्था की गरिमा को कम करने वाला आचरण उन्हें कतई बर्दाश्त नहीं है। मुख्य न्यायाधीश ने यह बात जस्टिस बीएस चौहान के सम्मान में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित विदाई समारोह में कही। सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने सर्वोच्च अदालत में बतौर जज नियुक्ति के लिए सरकार को चार लोगों के नाम भेजे थे। इनमें पूर्व सॉलिसिटर जनरल आर रो¨हग्टन और गोपाल सुब्रमण्यम का नाम भी था। सरकार ने सुब्रमण्यम के नाम की सिफारिश नकार दी जबकि बाकी तीन नामों को मंजूरी दे दी। इसके बाद सुब्रमण्यम ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर जज बनने के लिए दी गई अपनी सहमति वापस ले ली थी। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश देश से बाहर थे। वह 28 जून को वापस लौटे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, बतौर मुख्य न्यायाधीश मैंने और मेरे चार वरिष्ठ सहयोगियों की कोलेजियम ने बेहतरीन लोगों को चुना, जो हमारी समझ में अच्छे जज हो सकते थे। 6 मई को सरकार के पास चार नामों की सिफारिश भेजी गई। विदेश से लौटने पर कानून मंत्रालय की ओर से मेरे समक्ष एक फाइल पेश की गई। उससे पता चला कि चार में से तीन नाम मंजूर हो गए, जबकि सुब्रमण्यम का नाम अलग कर दिया गया। उन्होंने सरकार के रवैये पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा, न तो मुझे इसकी जानकारी दी गई और न ही सहमति ली गई। यह ठीक नहीं है।