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गुजरात दंगा मामले में मोदी को कोर्ट से भी क्लीन चिट

अहमदाबाद [जागरण संवाददाता]। गुजरात दंगा मामलों में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अदालत ने भी बेगुनाह करार दे दिया है। गुरुवार को एक स्थानीय अदालत ने दंगा मामलों में एसआइटी की क्लोजर रिपोर्ट को मान्य रखते हुए मोदी समेत 63 लोगों को विशेष जांच दल [एसआइटी] की क्लीन चिट के खिलाफ दायर जकिया जाफरी की याचिका को खारिज कर दिया। इससे मोदी व अन्य के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं हो सकता है।

By Edited By: Updated: Thu, 26 Dec 2013 09:10 PM (IST)
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अहमदाबाद [जागरण संवाददाता]। गुजरात दंगा मामलों में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अदालत ने भी बेगुनाह करार दे दिया है। गुरुवार को एक स्थानीय अदालत ने दंगा मामलों में एसआइटी की क्लोजर रिपोर्ट को मान्य रखते हुए मोदी समेत 63 लोगों को विशेष जांच दल [एसआइटी] की क्लीन चिट के खिलाफ दायर जकिया जाफरी की याचिका को खारिज कर दिया। इससे मोदी व अन्य के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं हो सकता है।

दंगों में मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी की पत्नी जकिया ने फरवरी 2012 को एसआइटी की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर मोदी, मंत्रिमंडल सदस्यों और पुलिस अफसरों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी।

याचिका में क्लीन चिट पर सवाल उठाते हुए कहा गया था कि गुजरात कैडर के सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार, आइपीएस राहुल शर्मा, निलंबित आइपीएस संजीव भट्ट के बयान व सुबूतों के साथ खुद एसआइटी की ओर से जुटाए गए सुबूतों के आधार पर मोदी और उनके साथियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए, लेकिन अदालत ने 350 पेज के अपने फैसले में स्पष्ट कहा है कि सभी के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता है।

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट बीजे गणात्रा ने फैसले में कहा, 'आपकी याचिका खारिज करता हूं, आप ऊपरी अदालत जा सकते हैं।' गुलबर्ग सोसाइटी दंगे में पति को खोने वाली जकिया ने नाराजगी जताते हुए कहा कि वह इस मामले में ऊपरी अदालत में अपील करेंगी। न्याय अभी नहीं मिला तो फिर कभी सही, लेकिन इंसाफ के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगी। उनके बेटे तनवीर जाफरी ने कहा कि उन्हें फैसले से निराशा हुई।

जकिया के अधिवक्ता मिहिर देसाई ने कहा कि अदालत का फैसला मोदी के लिए राहत की बात है, लेकिन महज दो से तीन सप्ताह के लिए। वह ऊपरी अदालत में अपील करेंगे। देसाई ने कहा कि अदालत ने उनके कानूनी तर्को को महत्व नहीं दिया, लेकिन एसआइटी जांच में ऐसे कई सुबूत हैं जिनके आधार पर मोदी व अन्य के खिलाफ मामला बनता है। सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ का कहना है कि एसआइटी को पर्याप्त सुबूत मिले हैं।

न्याय मित्र राजू रामचंद्रन ने कहा है कि उपलब्ध तथ्यों, सुबूत व बयानों के आधार पर मुख्यमंत्री व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया जा सकता है। एसआइटी के वकील एसआर जमुवार का कहना है कि जांच सही दिशा में है और कोर्ट के फैसले से यह साबित हो गया है। एसआइटी की क्लोजर रिपोर्ट कानूनी दृष्टि से सही थी।

मुख्यमंत्री मोदी व अन्य के खिलाफ आज की तारीख में कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं हो सकता। अब अगर नानावटी आयोग मोदी व अन्य को आरोपी मानें तो उनके खिलाफ प्रशासनिक लापरवाही या गलती को लेकर मामला बन सकता है।

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सफर आरोप से क्लीन चिट का

2002 में गुजरात में हुए दंगों से जुड़े मामलों में नरेंद्र मोदी समेत 63 व्यक्तियों को विशेष जांच दल (एसआइटी) की क्लोजर रिपोर्ट में क्लीन चिट दी गई थी। इस रिपोर्ट के खिलाफ अहमदाबाद की अदालत में जकिया जाफरी ने याचिका दायर की थी :

मामला :

28 फरवरी, 2002 को गोधरा दंगों के बाद भड़की सांप्रदायिक हिंसा में अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में हुई हिंसा में जकिया जाफरी के पति और पूर्व सांसद अहसान जाफरी समेत 69 लोग मारे गए थे। राज्यव्यापी हिंसा में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सहयोगियों की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए जकिया ने 2006 में उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने की कोशिश की। नाकाम रहने पर उन्होंने हाई कोर्ट का रुख किया। 2007 में गुजरात हाई कोर्ट ने जकिया की याचिका को खारिज करते हुए स्थानीय मजिस्ट्रेट कोर्ट में याचिका दाखिल करने की सलाह दी।

एसआइटी का गठन :

2008 में सुप्रीम कोर्ट ने नरेंद्र मोदी सरकार को गुलबर्ग सोसाइटी समेत दंगों से जुड़े नौ मामलों की दोबारा जांच कराने का आदेश दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने पूर्व सीबीआइ निदेशक आरके राघवन की अध्यक्षता में नए सिरे से मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन किया। 2009 में कोर्ट ने मोदी की भूमिका से संबंधित जकिया की याचिका को भी देखने को कहा ।

मोदी को क्लीन चिट :

-एसआइटी ने गवाहों से पूछताछ के बाद मार्च, 2010 में मोदी से पूछताछ की। 14 मई को एसआइटी ने मोदी को क्लीन चिट देते हुए कोर्ट में रिपोर्ट पेश की।

अगली कड़ी :

11 मार्च, 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने एसआइटी से न्यायमित्र राजू रामचंद्रन की शंकाओं पर गौर करने का आदेश दिया। रामचंद्रन ने अहमदाबाद का दौरा किया और एसआइटी के निष्कर्षो से भिन्न राय प्रकट करते हुए उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर मोदी के खिलाफ मामला चलाने की पेशकश करते हुए अपनी रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश की। इसके बाद 12 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अहमदाबाद के मेट्रोपोलिटन कोर्ट से यह निर्धारित करने को कहा कि क्या एसआइटी की अंतिम रिपोर्ट के बाद भी मोदी और अन्य के खिलाफ जांच की जा सकती है?

निर्णय :

10 अगस्त, 2012 को कोर्ट ने पाया कि एसआइटी ने अपनी तरफ से केस बंद करते हुए आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं पाया। अप्रैल, 2013 में जकिया ने एसआइटी की क्लीन चिट रिपोर्ट के खिलाफ अदालत में विरोध याचिका दाखिल की। 26 दिसंबर को अदालत ने नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी।

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