सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ पांच परीक्षणों को दी मंजूरी
दवाओं के क्लीनिकल परीक्षणों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त है। कोर्ट ने कहा है कि परीक्षण लोगों के फायदे के लिए होना चाहिए न कि कंपनियों के फायदे के लिए। कोर्ट ने 162 में से सिर्फ पांच क्लीनिकल परीक्षणों की सशर्त मंजूरी दी है। कोर्ट ने कहा है कि जिस मरीज पर परीक्षण किया जाएगा, उसकी सहमति की आडियो वीडिया
By Edited By: Updated: Tue, 22 Oct 2013 02:33 AM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दवाओं के क्लीनिकल परीक्षणों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त है। कोर्ट ने कहा है कि परीक्षण लोगों के फायदे के लिए होना चाहिए न कि कंपनियों के फायदे के लिए। कोर्ट ने 162 में से सिर्फ पांच क्लीनिकल परीक्षणों की सशर्त मंजूरी दी है। कोर्ट ने कहा है कि जिस मरीज पर परीक्षण किया जाएगा, उसकी सहमति की आडियो वीडियो रिकार्डिग की जाएगी। शेष 157 परीक्षणों पर एपेक्स कमेटी और टेक्निकल कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद विचार होगा।
पढ़ें: दवा मूल्य नियंत्रण आदेश पर उठा सवाल न्यायमूर्ति आरएम लोढा की अध्यक्षता वाली पीठ ने ये निर्देश सोमवार को दवाओं के क्लीनिकल ट्रायल का मुददा उठाने वाली गैर सरकारी संगठन स्वास्थ्य अधिकार मंच की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए। मामले पर अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी। पीठ ने केंद्र सरकार की पैरोकारी कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से कहा कि परीक्षण के बारे में तय मानक किसी अप्रिय घटना को रोकने में सक्षम नहीं है। तंत्र खामी रहित होना चाहिए। पीठ ने कहा कि मौजूदा हालात में प्रस्तावों पर एपेक्स कमेटी व टेक्निकल कमेटी के विचार से पहले 157 परीक्षणों को मंजूरी नहीं दी जा सकती। मालूम हो कि सरकार ने क्लीनिकल परीक्षणों के प्रस्तावों की जांच के लिए इन कमेटियों का गठन किया है। कोर्ट ने एपेक्स व टेक्निकल कमेटी से कहा है कि वे क्लीनिकल ट्रायल के प्रस्ताव पर विचार करते समय उससे जुड़े खतरे और परीक्षण की जरूरत पर भी विचार करेंगी। कोर्ट ने सरकार से कहा कि क्लीनिकल ट्रायल के मामलों की जांच के लिए एक समिति गठित होनी चाहिए। गौरतलब है कि सरकार ने कुल 162 परीक्षणों को मंजूरी दी थी। इनमें से पांच को सभी जगह से मंजूरी मिल गयी थी, जबकि 157 को एपेक्स कमेटी व टेक्निकल कमेटी से मंजूरी नहीं मिली थी।
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