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सरकार का फैसला, दिल्ली में अब नहीं तोड़ी जाएगी झुग्‍गी-झोपड़ी

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट की पहली बैठक में आम आदमी के हित में बड़ा फैसला लिया गया है। कैबिनेट ने फैसला लिया है कि दिल्ली में अब तोडफ़ोड़ की कार्रवाई नहीं होगी। किसी की झुग्गी नहीं तोड़ी जाएगी।

By Sanjay BhardwajEdited By: Updated: Mon, 16 Feb 2015 09:41 PM (IST)
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नई दिल्ली [राज्य ब्यूरो]। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट की पहली बैठक में आम आदमी के हित में बड़ा फैसला लिया गया है। कैबिनेट ने फैसला लिया है कि दिल्ली में अब तोडफ़ोड़ की कार्रवाई नहीं होगी। किसी की झुग्गी नहीं तोड़ी जाएगी।

वहीं बिजली बिल के दाम आधे करने के लिए वित्त और ऊर्जा विभाग को प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया गया है। सचिवालय में हुई कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि वित्त व ऊर्जा विभाग शीघ्रता से इस बारे में प्रस्ताव तैयार करें, ताकि उसे स्वीकृति देकर जनता को जल्द लाभ पहुंचाया जा सके।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ही केजरीवाल जनता के हित में फैसले लेने में जुट गए थे। पहले से ही कहा जा रहा था कि शनिवार को शपथ लेने के बाद वह कैबिनेट की बैठक बुलाकर बड़े फैसले ले सकते हैं।

मगर, केजरीवाल की तबीयत खराब होने के कारण शनिवार को कैबिनेट की बैठक नहीं हो सकी थी। बैठक में सबसे पहले तोडफ़ोड़ रोकने का फैसला लिया गया। केजरीवाल ने कहा कि बेवजह जनता को परेशान नहीं किया जाए।

23, 24 फरवरी को विधानसभा सत्र

कैबिनेट ने फैसला लिया है कि दिल्ली विधानसभा का सत्र दो दिन 23 और 24 फरवरी को चलेगा। 23 को विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी जबकि 24 को विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा।

प्रेस कांफ्रेंस छोड़ चले गए सिसोदिया

केजरीवाल सरकार के पहले कार्यदिवस पर सोमवार को दिल्ली सचिवालय में मीडिया को प्रवेश की अनुमति नहीं दिए जाने पर जमकर हंगामा हुआ। नतीजा यह रहा कि शाम को प्रदेश सरकार की कैबिनेट की पहली बैठक में हुए फैसलों की जानकारी देने के लिए मीडिया सेंटर पहुंचे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पत्रकारों से बात किए बिना ही सचिवालय के भीतर चले गए।

दरअसल, सुबह से ही सचिवालय में प्रवेश द्वार के समीप बने मीडिया सेंटर से आगे प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों को जाने नहीं दिया जा रहा था। इस वजह से पत्रकारों में नाराजगी थी।

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