Move to Jagran APP

1993-2010 तक के सभी कोयला खदानों का आवंटन अवैध: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने 1993 से लेकर पिछले 17 वर्षो में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग), संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सहित अन्य सरकारों के कार्यकाल के दौरान हुए सभी कोयला ब्लाक आवंटनों को मनमाना और स्वेच्छाचारी करार दिया है। अपने एक ऐतिहासिक फैसले में शीर्ष न्यायालय ने 1993 से 2010 तक की अवधि के दौर

By Edited By: Updated: Tue, 26 Aug 2014 10:18 AM (IST)
Hero Image

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 1993 से लेकर पिछले 17 वर्षो में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग), संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सहित अन्य सरकारों के कार्यकाल के दौरान हुए सभी कोयला ब्लाक आवंटनों को मनमाना और स्वेच्छाचारी करार दिया है। अपने एक ऐतिहासिक फैसले में शीर्ष न्यायालय ने 1993 से 2010 तक की अवधि के दौरान आवंटित सभी 218 कोयला ब्लाक गैर कानूनी ठहरा दिए हैं। कोर्ट ने आवंटन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल तो उठाए, लेकिन फिलवक्त उनमें किसी भी खदान के आवंटन को रद नहीं किया। अदालत ने कहा कि आवंटन निरस्त करना जरूरी है या नहीं, इस पर और सुनवाई आवश्यक है।

स्क्रीनिंग कमेटी और सरकार द्वारा किए गए सभी आवंटनों को अवैध बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आवंटनों में निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। चलताऊ और मनमाने रवैये के कारण राष्ट्रीय संपत्ति का गलत वितरण हुआ, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान उठाना पड़ा। हालांकि, कोर्ट ने साफ किया है कि इस फैसले का सीबीआइ और ईडी द्वारा की जा रही कोयला ब्लाक आवंटन घोटाले की जांच पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के सामने पूर्व में 24 निरस्त हो चुके खदानों को छोड़कर बाकी 194 कोयला ब्लाक आवंटनों के परीक्षण का मसला था। कोर्ट ने फैसले में साफ किया है कि उनका यह आदेश नीलामी के जरिये आवंटित अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट के बारे में नहीं है। लेकिन उन पर भी शर्त लगाई है कि ये इन्हें मिले कोयला ब्लाक सिर्फ अपने पावर प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल करेंगे। किसी अन्य इस्तेमाल में नहीं लगाएंगे और न ही उसके व्यावसायिक इस्तेमाल की इजाजत होगी।

अभी निरस्त नहीं किया आवंटन:

सुप्रीम कोर्ट में वकील एमएल शर्मा, गैर सरकारी संगठन कामनकाज और हस्तक्षेप याचिका दाखिल करने वाले सुदीप श्रीवास्तव ने कोयला ब्लाक आवंटनों में नियमों का उल्लंघन और मनमानी का आरोप लगाते हुए 1993 से 2010 तक के सभी आवंटन रद करने की मांग की थी। सोमवार का फैसला आवंटन रद करने पर ही था। कोर्ट ने फिलहाल आवंटनों को गैरकानूनी तो ठहरा दिया है, लेकिन उन्हे सीधे तौर पर निरस्त नहीं किया है। अदालत ने फैसले के प्रभाव पर आगे सुनवाई करने की जरूरत बताई। अब 1 सितंबर को सुनवाई होगी, जिसमें सरकार व अन्य पक्षकारों को सुना जाएगा। पीठ के अनुसार एक विकल्प यह भी हो सकता है कि सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक कमेटी बना दी जाए जो प्रत्येक मामले पर विचार करे।

राष्ट्रीय संपत्ति का गलत वितरण:

आवंटनों को अवैध ठहराते हुए कोर्ट ने कहा कि 14 जुलाई 1993 के बाद से स्क्रीनिंग कमेटी की 36 बैठकों और सरकार के विवेकाधिकार के तहत हुए आवंटन मनमाने और गैरकानूनी हैं। आवंटनों में स्क्रीनिंग कमेटी कभी एक समान नहीं रही। न ही ये पारदर्शी थी। आवंटनों में सोच विचार नहीं हुआ। दिशानिर्देशों का बहुत कम पालन हुआ। ज्यादातर तो इनका उल्लंघन ही हुआ। आवंटनों के पीछे न तो कोई उद्देश्य और मानक थे और न ही मेरिट के लिए कोई तुलनात्मक आकलन हुआ। चलताऊ और गैरजिम्मेदाराना रवैया रहा, जिसका नतीजा हुआ कि राष्ट्रीय संपत्ति गलत तरीके से वितरित हो गई।

उद्देश्य ठीक, लेकिन तरीका गैरकानूनी:

सरकारी आवंटनों पर कोर्ट ने कहा कि भले ही इसका उद्देश्य अच्छा रहा हो, लेकिन ये भी गैरकानूनी हैं। क्योंकि कोल माइन नेशनलाइजेशन एक्ट (सीएमएन) इसकी इजाजत नहीं देता। कोई भी राज्य सरकार या राज्य का सरकारी उपक्रम व्यावसायिक इस्तेमाल के वास्ते कोयला खनन के लिए अधिकृत नहीं है। कोयला ब्लाक सिर्फ धारा 3(3) और 4 के तहत आने वाली श्रेणी को ही दिया जा सकता है। अयोग्य कंपनी के साथ संयुक्त उपक्रम को भी इजाजत नहीं है। समूह, नेता या संघ को भी आवंटन नहीं हो सकता। सिर्फ सीएमएन कानून की धारा 3(3)के तहत योग्यता के मानदंड पूरे करने वालों को ही आवंटन हो सकता है। जो कहती है कि कोयला खदान स्टील, लौह या सीमेंट का उत्पादन करने वाली कंपनी को दिया जाएगा। इसके अलावा केंद्र सरकार, केंद्र की कंपनी या केंद्र के निगम को दिया जा सकता है।

फैसले के प्रमुख बिंदु:

-आवंटन मनमाने और गैरकानूनी।

-स्क्रीनिंग कमेटी कभी भी एक समान और पारदर्शी नहीं रही।

-आवंटन में चलताऊ रवैया अपनाया गया, प्रक्रिया निष्पक्ष नहीं थी।

-इस सबका नतीजा है कि राष्ट्रीय संपत्ति का गलत वितरण हुआ।

पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संकट में 194 कोल ब्लॉक

पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बाजार की तेजी हुई फुर्र