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मैं आरोपी तो मनमोहन क्यों नहीं

लाख कोशिशों के बावजूद कोयला घोटाले का जिन्न प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का पीछा नहीं छोड़ रहा है। सीबीआइ के जांच अधिकारी द्वारा प्रधानमंत्री से घोटाले के बारे में पूछताछ की जरूरत बताने के महीने भर बाद पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख ने मनमोहन सिंह को मुख्य आरोपी बताकर नया धमाका कर दिया है। हिंडाल्को को कोयला ब्लाक का आवंटन करने के मामले में आरोपी बनाए जाने से नाराज पूर्व कोयला सचिव ने बुधवार को कहा कि आवंटन पर अंतिम मुहर खुद प्रधानमंत्री ने लगाई थी।

By Edited By: Updated: Wed, 16 Oct 2013 11:39 PM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लाख कोशिशों के बावजूद कोयला घोटाले का जिन्न प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का पीछा नहीं छोड़ रहा है। सीबीआइ के जांच अधिकारी द्वारा प्रधानमंत्री से घोटाले के बारे में पूछताछ की जरूरत बताने के महीने भर बाद पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख ने मनमोहन सिंह को मुख्य आरोपी बताकर नया धमाका कर दिया है। हिंडाल्को को कोयला ब्लाक का आवंटन करने के मामले में आरोपी बनाए जाने से नाराज पूर्व कोयला सचिव ने बुधवार को कहा कि आवंटन पर अंतिम मुहर खुद प्रधानमंत्री ने लगाई थी।

कोयले की आंच कुमार मंगलम तक

पीसी पारेख ने सीबीआइ की एफआइआर की धज्जियां उड़ाते हुए कहा कि 2005 में आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने केवल कोयला ब्लाक के आवंटन के लिए ज्ञापन दिया था और कोयला सचिव के रूप में मैंने उसकी संस्तुति की थी। लेकिन कोयला ब्लाक आवंटन का अंतिम फैसला खुद प्रधानमंत्री ने लिया था। इसलिए अगर कोई साजिश हुई तो प्रधानमंत्री समेत हम तीनों को आरोपी बनाया जाना चाहिए था। यह पूछे जाने पर क्या पीएम का नाम मुख्य साजिशकर्ता के रूप में होना चाहिए?

कोयला ब्लॉक आवंटन की नई प्रक्रिया पर ग्रहण

पारेख ने कहा कि कोयला मंत्रालय का प्रभार संभालने के कारण इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रधानमंत्री की थी। वह चाहते तो मेरी सिफारिश खारिज कर सकते थे। उन्होंने कहा कि अगर सीबीआइ को लगता है कि कोई साजिश हुई तो उन्होंने प्रधानमंत्री को आरोपी बनाए जाने के बजाय सिर्फ मुझे और बिड़ला को क्यों चुना। आदित्य बिड़ला ग्रुप की कंपनी हिंडाल्को को हुए ब्लाक आवंटन को पारदर्शी बताते हुए पारेख ने कहा कि स्क्रीनिंग कमेटी की 25वीं बैठक में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी निवेली लिगनाइट को तालाबीरा कोयला ब्लाक आवंटन करने के बाद बिड़ला ने इसके लिए प्रधानमंत्री को ज्ञापन दिया था और उस पर विचार करने के बाद उन्होंने इसकी संस्तुति की थी।

गौरतलब है कि मंगलवार को सीबीआइ ने कोयला ब्लाक आवंटन मामले में 14वीं एफआइआर में कुमार मंगलम बिड़ला और पारेख को आरोपी बनाया है।

पहले भी पीएम पर उठ चुकी है अंगुली

कोयला घोटाले में सीधे प्रधानमंत्री के शामिल होने के आरोप भले ही पहली बार लगे हो, लेकिन उनकी भूमिका पर अंगुली पहले भी उठती रही है। पिछले महीने घोटाले की जांच करने वाले सीबीआइ अधिकारी ने प्रधानमंत्री से पूछताछ की जरूरत बताई थी। लेकिन सीबीआइ निदेशक ने इसकी इजाजत नहीं थी। सीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा का कहना था कि अभी इसकी जरूरत नहीं है। 2004 से 2009 के बीच बड़े पैमाने पर निजी कंपनियों को कोयला ब्लाकों का आवंटन किया गया। इस दौरान अधिकांश समय कोयला मंत्रालय का प्रभार खुद प्रधानमंत्री के पास था। कैग ने इस दौरान हुए कोयला ब्लाकों के आवंटन में एक लाख 76 हजार करोड़ रुपये के घोटाले का अनुमान लगाया था।

आवंटन में पारदर्शिता के पक्षधर थे पारेख

सीबीआइ की एफआइआर में आरोपी बनाए गए पीसी पारेख को कोयला ब्लाकों के आवंटन में पारदर्शिता लाने की कोशिशों के लिए जाना जाता है। कोयला ब्लाकों में आवंटन में घोटाले की गुंजाइश को देखते हुए पारेख ने प्रधानमंत्री कार्यालय को ब्लाकों की नीलामी करने की सिफारिश की थी। इसके लिए कैबिनेट नोट भी तैयार कर लिया गया था। लेकिन सरकार ने पारेख के सुझाव को दरकिनार कर दिया था। कोयला ब्लाकों के आवंटन में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के कारण पारेख को कोयला मंत्रालय से हटाने की कोशिश भी हुई थी। जानकारों की मानें तो मई 2004 में कोयला मंत्री बने शिबू सोरेन ने राजग के कार्यकाल में कोयला सचिव बनाए गए पारेख को दूसरे मंत्रालय में भेजने की कोशिश की। लेकिन शिवनाथ झा हत्याकांड में दिल्ली की स्थानीय अदालत के फैसले के बाद सोरेन खुद सरकार से बाहर हो गए।

'अगर कोई साजिश हुई है तो ज्ञापन देने वाले कुमार मंगलम पहले साजिशकर्ता, सिफारिश करने के नाते मैं दूसरा साजिशकर्ता और कोयला मंत्री के तौर पर अंतिम फैसला लेने वाले प्रधानमंत्री तीसरे साजिशकर्ता हैं।'

- पीसी पारेख, पूर्व कोयला सचिव

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