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सनसनीखेज खुलासा, पैसे लेकर सिफारिशी पत्र लिखते हैं सांसद

जिनको आप अपने हक की आवाज उठाने के लिए चुनकर भेजते हैं, उनमें कुछ ऐसे हैं जो सांसद बनने के बाद पैसों के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। एक स्टिंग ऑपरेशन में पांच प्रमुख पार्टियों के 11 सांसद पैसे लेकर विदेशी कंपनी की पैरोकारी करने को तैयार नजर आए। इनमें छह ने तो नोट लेकर चिट्ठी भी दे दी, जबकि हकीकत में यह कंपनी थी ही नहीं।

By Edited By: Updated: Fri, 13 Dec 2013 09:06 AM (IST)

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। जिनको आप अपने हक की आवाज उठाने के लिए चुनकर भेजते हैं, उनमें कुछ ऐसे हैं जो सांसद बनने के बाद पैसों के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। एक स्टिंग ऑपरेशन में पांच प्रमुख पार्टियों के 11 सांसद पैसे लेकर विदेशी कंपनी की पैरोकारी करने को तैयार नजर आए। इनमें छह ने तो नोट लेकर चिट्ठी भी दे दी, जबकि हकीकत में यह कंपनी थी ही नहीं। इस खेल में सत्तारूढ़ कांग्रेस से लेकर विपक्षी भाजपा, बसपा, जदयू और अन्नाद्रमुक सांसद शामिल पाए गए। इन्होंने अपने समर्थन की कीमत 50 हजार से 50 लाख तक मांगी।

कोबरापोस्ट वेबसाइट ने स्टिंग ऑपरेशन में अपने रिपोर्टर को एक विदेशी तेल कंपनी का एजेंट बनाकर सांसदों के पास भेजा। रिपोर्टर ने इन्हें बताया कि कंपनी भारत के उत्तर पूर्व राज्यों में तेल कुओं की नीलामी में भाग लेना चाहती है। सांसदों से उसने कंपनी के पक्ष में पेट्रोलियम मंत्रालय में पैरोकारी करने का अनुरोध किया। रिपोर्टर ने खुद को जिस कंपनी का प्रतिनिधि बताया वास्तव में उस नाम की कोई कंपनी है ही नहीं, लेकिन सांसदों ने पैसे के लालच में इसके नाम से भी पत्र जारी कर दिए। स्टिंग ऑपरेशन में पकड़े जाने वालों में कांग्रेस के खिलाड़ी लाल बैरवा व विक्रम भाई अर्जन भाई, भाजपा के लालू भाई पटेल, रविंद्र कुमार पांडे व हरि मांझी, जदयू के विश्व मोहन कुमार, महेश्वर हजारी व भूदेव चौधरी, बसपा की कैसर जहां और अन्नाद्रमुक के के. सुगुमार व सी. राजेंद्रन शामिल हैं। बिहार के सुपौल से जदयू सांसद विश्वमोहन कुमार खुफिया कैमरे के सामने कहते नजर आए कि वह मुफ्त में ही चिट्ठी लिख देते, लेकिन 15 तारीख को होने वाली रैली का जिम्मा उन्हीं के ऊपर है। उन्होंने पत्र लिखने के लिए 50 हजार रुपये लिए।

पढ़ें: साजिश के तहत हुआ स्टिंग

भाजपा के लालू भाई पटेल ने तो दावा किया कि वह सीधे पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली से मिलकर उनका काम करा सकते हैं। समस्तीपुर से जदयू सांसद महेश्वर हजारी ने अपने साथ पांच अन्य सांसदों का समर्थन दिलाने का भी भरोसा दिया। इससे पहले वर्ष 2008 में नोट के बदले वोट कांड का पर्दाफाश हुआ था।

तब भाजपा सांसदों ने संसद में नोटों से भरे बैग पेश करते हुए कहा था कि यह रकम उन्हें सरकार का समर्थन करने के लिए दी गई है। इसी तरह एक स्टिंग ऑपरेशन में पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले का भी पर्दाफाश हो चुका है।

लोकायुक्त जांच में भी फंस चुकी हैं कैसर जहां

लखनऊ, जागरण ब्यूरो। रुपये लेकर सांसदों द्वारा सिफारिशी चिट्ठी लिखने के मामले में कोबरा पोस्ट के स्टिंग में फंसी सीतापुर से बसपा सांसद कैसर जहां पहले भी विवादों के चलते चर्चा में रही हैं। वर्ष 2009 में सांसद बनने से पहले से लहरपुर नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष रही कैसर लोकायुक्त जांच में भी फंस चुकी हैं। उन्हें वित्तीय अनियमितता का दोषी ठहराया गया था। यद्यपि बसपा सांसद होने के चलते तत्कालीन मायावती सरकार ने लोकायुक्त की सिफारिश पर कैसर जहां के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की थी। कैसर जहां सिफारिशी पत्र को लेकर लगे आरोपों को बेबुनियाद बता रही हैं। लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा एक नहीं बल्कि दो-दो मामलों में कैसर जहां को निकाय अध्यक्ष पद पर रहते वित्तीय अनियमितता करने का दोषी ठहरा चुके हैं। लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। उनके पति लहरपुर क्षेत्र से विधायक हैं।

सांसद पांडेय का मोबाइल स्विच ऑफ

धनबाद। कोबरा पोस्ट के स्टिंग ऑपरेशन में फंसे रवींद्र कुमार पांडेय झारखंड के गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र से चौथी बार भाजपा के टिकट पर सांसद चुने गए हैं। उनके पिता कृष्ण मुरारी पांडेय वरिष्ठ कांग्रेसी नेता थे। स्टिंग में नाम आने के बाद से सांसद रवींद्र पांडेय का मोबाइल स्विच ऑफ है। उनसे संपर्क नहीं हो सका है।

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क्या कहा सांसदों ने

'कुछ लोग आए थे। तेल की खोज के लिए सर्वे की बात हुई। पूर्णिया के इलाके में भी तेल की खोज के लिए सर्वे हुआ था। हमें लगा राज्य का फायदा है। सो, पत्र लिख दिया। रुपये लेने की बात बकवास है। ' -विश्वमोहन कुमार, सांसद जदयू, सुपौल

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'मैंने जब खबर देखी तो ताज्जुब हुआ। छह महीना पहले मेरे क्षेत्र के कुछ लोग आए थे। इनके साथ स्टिंग वाले भी थे। क्षेत्र के युवकों को नौकरी की बात थी, मैंने हां कर दी। रुपये लेने की बात कोई साबित कर दे, तो मुझे हर दंड मंजूर है।' -हरि मांझी, भाजपा सांसद, गया

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'मैंने कोई अनुशंसा-पत्र नहीं लिखा है और ना ही मैंने किसी से लेन-देन की बात की है। स्टिंग करने वाले में दम है तो वह मेरा पैसा लेते और अनुशंसा-पत्र दिखाए। नहीं तो मैं कोर्ट जाऊंगा।' -महेश्वर हजारी, सांसद-जदयू, समस्तीपुर

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'लोक कल्याणकारी हित में लोग अकसर हमारे पास पत्र लिखवाने आते हैं। अगर इस झांसे में किसी ने पत्र लिखवाया है तो इसे गलत रूप नहीं दिया जा सकता है। अगर कोबरा के पास पैसों के लेन-देन के साक्ष्य हैं तो वह देश हित में उन्हें सामने लाए।' -भूदेव चौधरी, सांसद-जदयू, जमुई, बिहार

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