मोदी सरकार को मंजूर नहीं गोपाल सुब्रमण्यम बने जज
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम के जज बनने की राह आसान नहीं प्रतीत हो रही है। दरअसल मोदी सरकार को यह मंजूर नहीं कि वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने। उसने शीर्ष न्यायालय के कॉलेजियम से आग्रह किया है कि सुब्रमण्यम को न्यायाधीश बनाने के प्रस्ताव पर वह फिर से विचार करे। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार,
By Edited By: Updated: Thu, 19 Jun 2014 09:42 PM (IST)
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम के जज बनने की राह आसान नहीं प्रतीत हो रही है। दरअसल मोदी सरकार को यह मंजूर नहीं कि वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने। उसने शीर्ष न्यायालय के कॉलेजियम से आग्रह किया है कि सुब्रमण्यम को न्यायाधीश बनाने के प्रस्ताव पर वह फिर से विचार करे।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, सरकार ने सुब्रमण्यम के नाम वाली फाइल को कॉलेजियम को लौटा दिया है और इस पर पुनर्विचार का आग्रह किया है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की अगुवाई वाली कॉलेजियम ने पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम के नाम को मंजूरी प्रदान की थी और उसे हरी झंडी के लिए सरकार के पास भेजा था। समझा जा रहा है कि कॉलेजियम को भेजे नोट में सरकार ने उन कारणों को स्पष्ट किया है, जिनके चलते सुब्रमण्यम की नियुक्ति को लेकर उसकी आपत्ति है। गौरतलब है कि सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले में बतौर न्याय मित्र सुब्रमण्यम गुजरात सरकार के प्रति अदालत में काफी आक्रामक रहे हैं। उनके द्वारा नए तथ्यों को सामने लाने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सीबीआइ जांच के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट के जज की नियुक्ति संबंधी प्रक्रिया के अनुसार सरकार एक बार कॉलेजियम के प्रस्ताव संबंधी फाइल को एक बार पुनर्विचार के लिए वापस कर सकती है। लेकिन अगर कॉलेजियम अपने प्रस्ताव पर अटल रहती है तो सरकार को उसे मानना पड़ेगा।
हालांकि सूत्रों का कहना है कि सरकार ने कॉलेजियम द्वारा प्रस्तावित बाकी नामों को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। जिनको सरकार की ओर से हरी झंडी मिली है, उनमें कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्र, ओडिशा के मुख्य न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल और वरिष्ठ अधिवक्ता रोहिंटन नरीमन के नाम शामिल हैं। पढ़ें: जजों की नियुक्ति में हो कार्यपालिका की भी भूमिका