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सांप्रदायिक हिंसा में बहुत आगे बढ़ गया यूपी

उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं हैं। सत्ता परिवर्तन के बाद से पश्चिमी उत्तर प्रदेश दंगों की आग में झुलस रहा है। हर बार इसके पीछे किसी न किसी पक्ष को संरक्षण देने के चलते दंगे की आग अधिक भड़की। इसके बाद कुछ स्थानों पर सुनियोजित तरीके से आग में घी डालने का काम किया गया।

By Edited By: Updated: Wed, 30 Jul 2014 10:40 AM (IST)
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं हैं। सत्ता परिवर्तन के बाद से पश्चिमी उत्तर प्रदेश दंगों की आग में झुलस रहा है। हर बार इसके पीछे किसी न किसी पक्ष को संरक्षण देने के चलते दंगे की आग अधिक भड़की। इसके बाद कुछ स्थानों पर सुनियोजित तरीके से आग में घी डालने का काम किया गया।

आंकड़ों की गवाही में पिछले तीन साल में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा की करीब 50 घटनाएं हो चुकी हैं जिसमें लगभग 80 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बागपत, बुलंदशहर, शामली समेत शायद ऐसा ही कोई जिला बचा हो जहां सांप्रदायिक हिंसा न देखने को मिली हो। इसी साल मुजफ्फरनगर में 66 लोगों दंगे की बलि चढ़े थे। वहीं आसपास के जनपदों में निर्दोष लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। लेकिन इसके बाद भी इन स्थानों पर आज तक हालत सामान्य नहीं हुए हैं। केंद्र सरकार के आंकड़ों की गवाही भी उत्तर प्रदेश को दंगे के मामले में पहले नंबर पर मान रही है। यहां सात माह में बड़ी संख्या में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हो चुकी हैं। इनमें कई लोगों को जान गंवानी पड़ी है।

गृह मंत्रालय के मुताबिक वर्ष 2013 में उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा की देश में सबसे ज्यादा 247 घटनाएं हुई, जिनमें 77 लोगों की जान गई थी। गत वर्ष अगस्त-सितंबर के दौरान सिर्फ मुजफ्फरपुर दंगों में ही 60 लोगों की मौत हो गई थी। इस वर्ष अप्रैल से जून के बीच उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा की 32 घटनाएं हुई और यह राज्य इस सूची में शीर्ष पर है।

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