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छह माह में कामकाज समेटने के दौरान कोयला खनन पर रोक नहीं

कोयला ब्लॉक आवंटन रद्द किए जाने के बावजूद जिन कंपनियों को कामकाज समेटने के लिए छह माह का समय दिया गया है, उस दौरान उनके कोयला खनन और उसे बाजार में बेचने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से गुरुवार को इन्कार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत ने जिन कंपनियों को अपन

By Sanjay BhardwajEdited By: Updated: Thu, 16 Oct 2014 05:31 PM (IST)
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नई दिल्ली। कोयला ब्लॉक आवंटन रद्द किए जाने के बावजूद जिन कंपनियों को कामकाज समेटने के लिए छह माह का समय दिया गया है, उस दौरान उनके कोयला खनन और उसे बाजार में बेचने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से गुरुवार को इन्कार कर दिया।

प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत ने जिन कंपनियों को अपना कामकाज समेटने के लिए छह माह का समय दिया है, उस दौरान उन्हें कोयला खनन से रोका नहीं जा सकता। पीठ ने कहा, 'यदि वे कोयला खनन करना चाहती हैं तो उन्हें कोई नहीं रोक सकता। उन्हें छह माह का समय दिया गया है। ऐसे में कोर्ट उन्हें उस समयावधि में कोयला खनन नहीं करने का निर्देश क्यों दे?'

इसलिए खनन पर रोक की मांग

कोर्ट ने यह टिप्पणी एडवोकेट एमएल शर्मा की याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिनकी याचिका पर कोर्ट 214 कोयला ब्लॉकों का आवंटन रद कर चुका है। ताजा याचिका में शर्मा ने बताया कि कंपनियों को चूंकि छह माह में कामकाज समेटना है इसलिए वे रोजाना तीन से चार गुना अधिक कोयला निकाल रही हैं इसलिए कंपनियों को कोयला खनन से रोका जाना चाहिए। लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने 24 सितंबर को 214 कोयला ब्लॉकों का आवंटन 'मनमाना' करार देकर रद कर दिया था। इन ब्लॉकों का आवंटन 1993 से किया गया था। इनमें से कोयला उत्पादन कर रहे 42 कोयला ब्लॉकों को कोर्ट ने केंद्र सरकार को टेकओवर करने की अनुमति दी थी। कोर्ट ने कोल इंडिया लिमिटेड से कहा था कि वह 42 कार्यशील ब्लॉकों को अपने हाथ में ले। इससे ब्लॉक आवंटन रद करने का असर छह माह बाद मार्च 31, 2015 से शुरू होगा। कोर्ट ने यह समय अटॉर्नी जनरल के इस कथन पर दिया कि केंद्र और सीआइएल को बदले हालात में एडजस्ट करने तथा आगे बढ़ने में कुछ समय की जरूरत है।

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