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अनिवार्य सेवानिवृत्तिदंडात्मक नहीं: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश को दंडात्मक या साख पर बट्टा लगने जैसा न बताते हुए कहा कि यह सरकारी संस्था द्वारा लिया गया ऐसा निर्णय होता है, जिसे वह जनहित में सही समझती है। शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों की न्यायिक समीक्षा की गुंजाइश काफी कम होती है। केएस राधाकृष्णन

By Edited By: Updated: Tue, 17 Sep 2013 01:10 AM (IST)

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अनिवार्य सेवानिवृत्तिके आदेश को दंडात्मक या साख पर बट्टा लगने जैसा न बताते हुए कहा कि यह सरकारी संस्था द्वारा लिया गया ऐसा निर्णय होता है, जिसे वह जनहित में सही समझती है। शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों की न्यायिक समीक्षा की गुंजाइश काफी कम होती है।

केएस राधाकृष्णन और एके सीकरी की पीठ ने कहा कि अगर संवैधानिक संस्था अपने कर्तव्य का पालन न करते हुए कोई ऐसा कदम उठाती है जो एकतरफा या फिर जान-बूझकर किसी की छवि को धूमिल करने वाला हो, तभी इसमें दखल की इजाजत दी जा सकती है।

राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने ये विचार रखे। निगम ने अपने एक ड्राइवर को अनिवार्य सेवानिवृत्तिदेने के फैसले को हाई कोर्ट द्वारा पलटने के आदेश को सुप्रीम में चुनौती दी थी।

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