संप्रदाय के झगड़ों को भुलाकर सिर्फ विकास की बात करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत के 'हिंदू राष्ट्र' के बयान ने राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने सोमवार को जहां भागवत की आड़ में भाजपा पर हमला बोल दिया वहीं खुद भाजपा में भी एक धड़ा थोड़ा असहज है। हालांकि, औपचारिक रूप से पार्टी भागवत के बचाव में उतर गई है।
By Edited By: Updated: Tue, 19 Aug 2014 01:23 AM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संप्रदाय के झगड़ों को भुलाकर सिर्फ विकास की बात करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत के 'हिंदू राष्ट्र' के बयान ने राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने सोमवार को जहां भागवत की आड़ में भाजपा पर हमला बोल दिया वहीं खुद भाजपा में भी एक धड़ा थोड़ा असहज है। हालांकि, औपचारिक रूप से पार्टी भागवत के बचाव में उतर गई है।
कुछ दिनों पूर्व ही भागवत के उस बयान ने राजनीति गरमा दी थी जिसमें उन्होंने कहा था कि हिंदुस्तान में रहने वालों को हिंदू माना जाना चाहिए। ठीक उसी तरह जैसे अमेरिका में रहने वालों को अमरीकी। यह बयान उस वक्त आया था जब संसद में सांप्रदायिकता पर बहस खत्म हुई थी। दो दिन बाद ही लाल किला से प्रधानमंत्री ने सांप्रदायिकता से बचने की सलाह देते हुए हर किसी से अपील की थी कि दस साल के लिए सिर्फ विकास की बात सोचें तभी भारत आगे बढ़ेगा।
भागवत भले ही सांस्कृतिक पहचान की बात कर रहे हों, लेकिन रविवार को विश्व हिंदू परिषद के स्वर्ण जयंती समारोह में उन्होंने 'हिंदुस्तान की पहचान हिंदू राष्ट्र की है' कहकर विपक्षियों को फिर से मौका दे दिया। संघ से हाल ही में भाजपा में आए व राष्ट्रीय महासचिव बने राम माधव ने उनका बचाव करते हुए कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। उन्होंने हिंदुत्व के व्यापक दृष्टिकोण की बात की है। भाजपा में लेकिन ऐसे भी कुछ नेता हैं जिन्हें लगता है कि प्रधानमंत्री की अपील के बाद उन्हें ऐसे बयानों से बचना चाहिए था जिससे गलत संकेत मिले। कुछ लोग भागवत के इस बयान के निहितार्थ भी ढूंढ रहे हैं। खासतौर पर तब जबकि कुछ ही दिन पहले उन्होंने लोकसभा चुनाव की जीत का किसी नेता को श्रेय देने के बजाय जनता की जीत करार दिया था। बहरहाल, कांग्रेस व माकपा ने इसे संघ का छिपा हुआ एजेंडा करार दिया। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने हिटलर जैसे तीखे विशेषण का इस्तेमाल करते हुए पूछा कि क्या भागवत की नजर में इस्लाम, जैन, बौद्ध, क्रिश्चियनिटी धर्म को मानने वाले भी हिंदू हैं। अगर ऐसा है तो वह भारत को विभाजन की ओर ले जा रहे हैं। माकपा पोलित ब्यूरो ने इसका जिम्मा परोक्ष रूप से भाजपा पर डालते हुए कहा कि जब से राजग सरकार बनी है इस तरह के बयान आ रहे हैं।
किसने, क्या-कहा: 'वे ऐसे शब्द और ऐसी भाषा का इस्तेमाल सामाजिक तनाव को हवा देने के लिए कर रहे हैं।'
- राजेंद्र चौधरी, प्रवक्ता समाजवादी पार्टी 'यह सांप्रदायिक आतंक, हिंसा और ध्रवीकरण का अशुभ संकेत है।' - आनंद शर्मा, प्रवक्ता कांग्रेस पार्टी
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