लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस को हर मोर्चे पर मात मिल रही है। केंद्र की राजग सरकार को घेरने की हर कोशिश में कांग्रेस को अब नाकामी ही मिली है, तो कई मामलों में उसे अपनों से ही दो-चार होना पड़ रहा है। अब कांग्रेस का जम्मू-कश्मीर में सत्तारूढ़ नेशनल कांफ्रेंस के साथ छह साल पुरान
By Edited By: Updated: Mon, 21 Jul 2014 07:14 AM (IST)
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस को हर मोर्चे पर मात मिल रही है। केंद्र की राजग सरकार को घेरने की हर कोशिश में कांग्रेस को अब नाकामी ही मिली है, तो कई मामलों में उसे अपनों से ही दो-चार होना पड़ रहा है। अब कांग्रेस का जम्मू-कश्मीर में सत्तारूढ़ नेशनल कांफ्रेंस के साथ छह साल पुराना गठबंधन भी टूट गया है। रविवार को दोनों पार्टियों ने आगामी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में अकेलेदम मैदान में उतरने का एलान भी कर दिया है। वहीं डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला ने विधानसभा चुनाव न लड़ने का ऐलान किया है।
कांग्रेस व नेशनल कांफ्रेंस के बीच काफी समय से मनमुटाव की खबरें आ रही थीं। लोकसभा चुनाव में गठबंधन को मिली करारी हार के बाद दोनों के बीच का विवाद घमासान में तब्दील हो गया था। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद व अंबिका सोनी ने एक सप्ताह पहले ही राज्य का दौरा कर स्थानीय पार्टी नेताओं से मशविरा किया और गठबंधन से तौबा करने का मन बना लिया था।
राज्य के कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं के मुताबिक जम्मू-कश्मीर सरकार की कार्यप्रणाली बेहद खराब है। रविवार को कांग्रेस नेता व राज्य प्रभारी अंबिका सोनी ने जम्मू में और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने श्रीनगर में गठबंधन के टूटने का औपचारिक एलान किया। उमर ने स्पष्ट किया कि उन्होंने 10 दिन पहले ही नई दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष से कह दिया था कि वह चुनाव पूर्व कोई गठबंधन नहीं चाहते, लेकिन अलग होने की औपचारिक घोषणा वह खुद नहीं करेंगे। दरअसल, लोकसभा चुनाव में राज्य के लेह व लद्दाख क्षेत्र में भाजपा को अच्छी सफलता मिलने से कांग्रेस की चिंताएं बढ़ गई थीं। साथ ही हाल की अमरनाथ यात्रा की राह में घटी घटनाओं से राज्य में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के आसार बढ़ गए हैं। पीडीपी का आक्रामक रवैया भी कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकता है।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा का छह वर्ष का कार्यकाल जनवरी, 2015 में पूरा हो रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने बताया कि पार्टी इसी वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में राज्य की सभी 87 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। लोकसभा चुनाव में सभी छह सीटें हारने की ओर इशारा करते हुए आजाद ने कहा कि हम विधानसभा चुनाव में कोई जोखिम नही उठाना चाहते हैं। राज्य में विधानसभा चुनाव इस साल के अंत तक होने वाले हैं। सरकार बनाने के लिए किसी एक दल या गठबंधन को कुल 44 सीटों की दरकार होती है। दोनों दलों ने पिछले चुनाव में अलग चुनाव लड़ा था, लेकिन किसी को भी सरकार बनाने का जनादेश नहीं मिला। इसके बाद दोनों ने चुनाव बाद गठबंधन कर सरकार बनाई थी।
कांग्रेस में नहीं सीएम प्रत्याशी घोषित करने का चलनकश्मीर में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर अंबिका सोनी ने कहा कि यह फैसला राज्य की चुनाव कमेटी और केंद्रीय स्क्रीनिंग कमेटी करेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करने की परंपरा नहीं है। उनके मुताबिक, पार्टी कार्यकर्ताओं की राय लेकर अच्छे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा जाएगा। इसके लिए हर जिले में अधिवेशन होंगे। इस दौरन उन्होंने कहा, 'राज्य में इतनी महिला नेता नही हैं कि 33 प्रतिशत आरक्षण दिया जा सके, लेकिन टिकट देते समय ज्यादा से ज्यादा महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का प्रयास किया जाएगा।' डॉ. अब्दुल्ला नहीं लड़ेंगे चुनाव नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय अक्षय ऊर्जा मंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में किसी भी सीट से मैदान में नहीं उतरेंगे। उनके बेटे और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने रविवार को बताया कि डॉक्टर साहब का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। वह विधानसभा चुनावों में हिस्सा नहीं लेंगे। अलबत्ता, वह हमारा मार्गदर्शन जरूर करते रहेंगे।