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कांग्रेस में भड़की बगावत

केंद्र की सत्ता जाते ही कांग्रेस में चौतरफा बवाल मचा हुआ है। इस तख्ता पलट का असर कांग्रेस शासित राज्यों में भी शिद्दत से दिख रहा है। महाराष्ट्र, असम, और जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस में ऐसी भगदड़ मची है जैसे 125 साल पुरानी पार्टी डूबता जहाज हो। महाराष्ट्र में नारायण राणे ने चव्हाण सरकार छोड़ कर पार्टी को झटका दिया तो असम में शिक्षा मंत्री हेमंत बिश्व शर्मा भी बगावती तेवर अख्तियार किए हुए हैं। दिल्ली के बगल हरियाणा में भी बगावत की चिंगारियों को चौधरी बीरेंद्र सिंह हवा दिए हुए हैं। पश्चिम बंगाल में पहले ही कांग्रेस की हालत पतली हो चुकी थी। अब उसके तीन विधायकों ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थामकर पार्टी को करारा झटका दिया है। अनुशासन तार-तार होने के बाद कार्रवाई की बजाय हताश पार्टी ने कहा कि राणे और हेमंत लालची हैं।

By Edited By: Updated: Mon, 21 Jul 2014 11:28 PM (IST)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केंद्र की सत्ता जाते ही कांग्रेस में चौतरफा बवाल मचा हुआ है। इस तख्ता पलट का असर कांग्रेस शासित राज्यों में भी शिद्दत से दिख रहा है। महाराष्ट्र, असम, और जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस में ऐसी भगदड़ मची है जैसे 125 साल पुरानी पार्टी डूबता जहाज हो। महाराष्ट्र में नारायण राणे ने चव्हाण सरकार छोड़ कर पार्टी को झटका दिया तो असम में शिक्षा मंत्री हेमंत बिश्व शर्मा भी बगावती तेवर अख्तियार किए हुए हैं। दिल्ली के बगल हरियाणा में भी बगावत की चिंगारियों को चौधरी बीरेंद्र सिंह हवा दिए हुए हैं। पश्चिम बंगाल में पहले ही कांग्रेस की हालत पतली हो चुकी थी। अब उसके तीन विधायकों ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थामकर पार्टी को करारा झटका दिया है। अनुशासन तार-तार होने के बाद कार्रवाई की बजाय हताश पार्टी ने कहा कि राणे और हेमंत लालची हैं।

इसी साल चुनाव वाले राज्य चाहे महाराष्ट्र, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर हों या फिर असम और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य। सभी जगहों पर नेतृत्व के खिलाफ मुखर असंतोष के स्वर अब बगावत में तब्दील होते जा रहे हैं। कांग्रेस भी औपचारिक रूप से मान चुकी है कि सबको एक साथ संभालना अब संभव नहीं है। महाराष्ट्र में तो पार्टी के दिग्गज नेता नारायण राणे ने 'हारी हुई पार्टी' के साथ चुनाव में न जाने का एलान कर कांग्रेस से छुंट्टी पा ली। माना जा रहा है कि वह भाजपा नेताओं से संपर्क में तो हैं ही और अपनी अलग पार्टी भी बना सकते हैं।

इसी तरह असम सरकार में मंत्री हेमंत बिश्व शर्मा ने वहां के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक रखा है। उन्होंने राज्यपाल को 30 विधायकों की सूची भेजकर गोगोई को मुख्यमंत्री पद से हटाकर खुद का दावा पेश कर दिया है। हालांकि गोगोई के पीछे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ पूरी पार्टी खड़ी है। वहीं, महाराष्ट्र में भी पृथ्वीराज चव्हाण को मुख्यमंत्री पद से हटाने से कांग्रेस ने इन्कार कर दिया है। दोनों मुख्यमंत्रियों को राहुल के वीटो के चलते ही अभयदान मिला। यही कारण है कि राणे व हेमंत का कांग्रेस से मोहभंग हो रहा है। जाहिर है कि कांग्रेस ने इस भगदड़ को नियति मान लिया है।

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दोनों राज्यों में बगावत को खारिज कर इसे कुछ नेताओं की सत्तालोलुपता का मामला बताया। सिंघवी ने कहा कि सबको पता है कि चाहे असम में हेमंत हों या फिर महाराष्ट्र में नारायण राणे हों, दोनों की इच्छा मुख्यमंत्री पद की है। ऐसे में यह मुद्दों के आधार पर नहीं टूट रहे हैं, बल्कि पद के लालच का मामला है।

हालांकि, कांग्रेस के लिए परेशानी दिल्ली के पड़ोसी राज्य हरियाणा ने भी पैदा कर रखी है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से नाराज पार्टी के कद्दावर नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह के तेवर लगातार कड़े होते जा रहे हैं। उन्होंने एक बार फिर दोहराया है कि वह हुड्डा के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनका आरोप है कि हुड्डा के कार्यकाल में हरियाणा का विकास रोहतक के आस-पास तक सीमित हो गया है। ध्यान रहे कि चौधरी की मुलाकात 21 जून को भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह से भी हो चुकी है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल के तीन कांग्रेस विधायक तृणमूल कांग्रेस के कार्यक्रम में जाकर शामिल हो गए। जम्मू से पूर्व सांसद चौधरी लाल सिंह ने भी कांग्रेस से नाराजगी जता कर नाता तोड़ लिया है।

यही नहीं जम्मू-कश्मीर में भी नेशनल कांफ्रेंस से गठबंधन खत्म करने के फैसले से नाराज एक पूर्व सांसद ने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अटकलें हैं कि कांग्रेस का शरद पवार की पार्टी के साथ गठबंधन खत्म हो सकता है। राकांपा की ओर से इस तरह के आसार व्यक्त किए गए हैं।

गोगोई सरकार गिराने की मंशा नहीं

नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। असम में कांग्रेस की अंदरूनी कलह को हवा देते हुए शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्वशर्मा ने सोमवार को पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि उन्होंने कहा कि उनकी मंशा मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की सरकार गिराने की नहीं है। हेमंत में दावा किया कि उनके साथ पार्टी के 38 और विधायक हैं।

राज्यपाल को इस्तीफा देने के बाद बिस्वशर्मा ने कहा कि लगभग 38 विधायक मेरे साथ राजभवन गए, लेकिन ये मेरी निजी यात्रा थी। हम अपनी पार्टी के लिए लड़ रहे हैं और 2016 में गोगोई के नेतृत्व में कांगेस इकाई के आंकड़े पर आ जाएगी। तरुण गोगोई के अधीन काम जारी रखना राजनीतिक, मानसिक और शारीरिक रूप से संभव नहीं है। लिहाजा मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अभी गोगोई सरकार को कोई खतरा नहीं है। हम सरकार को गिराना नहीं चाहते। हालांकि मेरे साथ 38 विधायक हैं, जो विधानसभा में 'सकारात्मक विपक्ष' की भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि हम पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देशों पर पूरी तरह काम करेंगे।

विधायकों के टूटने से कांग्रेस विचलित नहीं

कोलकाता। कांग्रेस के तीन विधायकों के तृणमूल में शामिल होने के बाद पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कहा कि कोई भी नेता किसी भी पार्टी में जाने के लिए स्वतंत्र है। नीति व आदर्श पर चलने वाली कांग्रेस को खुद पर भरोसा है। पार्टी छोड़कर जाने वाले विधायक कांग्रेस के टिकट पर जीते थे। अब वे फिर से वहां चुनाव जीत नहीं सकते हैं। इस टूट से कांग्रेस कतई निराश नहीं है। वहीं वामदल के एक विधायक के तृणमूल में जाने पर वाममोर्चा चेयरमैन विमान बोस ने कहा कि ममता बनर्जी विपक्षी विधायकों को डरा-धमका कर तोड़ रही हैं। वाममोर्चा के कुछ और विधायकों को धमका कर उन पर तृणमूल में शामिल होने का दबाव डाला जा रहा है। इस बीच जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस के दो बार सांसद रहे चौधरी लाल सिंह ने सोमवार को पार्टी से औपचारिक इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पार्टी छोड़ने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद को जिम्मेदार ठहराया।

अशोक चह्वाण कांग्रेस संसदीय दल के सदस्य निर्वाचित

नई दिल्ली। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण को कांग्रेस संसदीय दल का सदस्य चुना गया है। मुंबई के आदर्श घोटाले में नाम आने के बाद चह्वाण को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में वह नांदेड़ से चुनकर संसद पहुंचे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री के सुरेश को लोकसभा जबकि राजीव शुक्ला को राज्यसभा के लिए सचिव चुना गया।

रिटर्निग अधिकारी जनार्दन द्विवेदी ने बताया कि टी. सुब्बारामी रेड्डी कांग्रेस संसदीय दल का कोषाध्यक्ष चुना गया है। चह्वाण के अलावा लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल में बीरेन सिंह एंगती, केएच मुनियप्पा, केवी थॉमस, एमआइ शनवास, मौसम नूर, नंदी येल्यिाह, एन ए¨रग और आर ध्रुवनारायण को चुना गया।

पढ़ें : नेतृत्व से नाराज राणे का इस्तीफा

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