जानिए, UP चुनाव के लिए प्रशांत किशोर पर क्यों भरोसा दिखा रही है कांग्रेस
असम की हार से सबक लेते हुए कांग्रेस ने अब अपने नए रणनीतिकार प्रशांत किशोर पर दारोमदार बढ़ाया है। किशोर अब यूपी और पंजाब में अभियान चलाएंगे।
लखनऊ। केंद्र सरकार के दो साल पूरे होने पर 'विकास पर्व' मना रही भारतीय जनता पार्टी ने इसकी शुरुआत सहारनपुर से की। यहां हुुई भाजपा की रैली में पीएम मोदी ने कहा 'मैं यूपी वाला हूं'। वाराणसी संसदीय क्षेत्र के सांसद होने के नाते पीएम मोदी के इस बयान को अगले साल होने वाले यूपी चुनाव की तैयारियों की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। उधर कांग्रेस भी यूपी चुनाव के मद्देनजर कमर कसती नजर आ रही है। कांग्रेस ने अपने रणनीतिकार प्रशांत किशोर को यूपी में डेरा जमाने को कहा है।
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एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, अपने नए तौर-तरीकों और चुनावी रणनीति के साथ 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के चुनावी अभियान को सफल बनाने वाले प्रशांत किशोर अब देश सबसे ज्यादा आबादी वाले प्रदेश उत्तर प्रदेश में डेरा जमाने वाले हैं। प्रशांत किशोर के करीबी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक वे अगले महीने से उत्त प्रदेश का रुख करने वाले हैं। कांग्रेस के ये नए खेवनहार अब 20 दिनों तक यूपी में कांग्रेस के चुनावी अभियान की बागडोर संभालेंगे जबकि बाकी दस दिन वे पंजाब में बिताएंगे। वहां कांग्रेस के अभियान की अगुवाई कर रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह की चुनावी रणनीतियों का खाका खीचेंगे। अमरिंदर को जल्द ही पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया जाने वाला है।
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प्रशांत किशोर की टीम यूपी में 100 सदस्य हैं और इससे जुड़े सूत्रों के अनुसार जून के मध्य में कांग्रेस की तरफ से "बड़ी घोषणा" की योजना बना रहे हैं और उसी के साथ पार्टी के चुनावी अभियान का आगाज होगा।
आपको बता दें, पंजाब और यूपी में अगले साल चुनाव होने जा रहे हैं। हाल ही में केरल और असम जैसे राज्यों में पार्टी की हार के बाद से कांग्रेस को अब जीत की सख्त दरकार है। पंजाब में जीतने की स्थिति में पार्टी का मनोबल बढ़ेगा। इसके साथ ही देश का सबसे बड़े राज्य यूपी से ही यह तय होता है कि देश का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा।
बता दें कि 2014 के चुनाव में भाजपा ने इस राज्य की 80 में से 71 सीटों पर कामयाबी हासिल की थी। कांग्रेस की तरफ से यहां से केवल सोनिया और राहुल गांधी को सफलता मिली थी।
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विरोधियों की बोलती बंद
दरअसल, कांग्रेस केरल और असम से सत्ता से बाहर हो गई है और बंगाल और केरल में वह जिस गठबंधन का हिस्सा थी, उनका प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। सूत्रों के मुताबिक असम में भाजपा की आसान जीत ने प्रशांत किशोर की कांग्रेस में रणनीतिकार के रूप में भूमिका को मजबूत किया है।
असम में प्रशांत किशोर ने कांग्रेस को दो क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन की सलाह दी थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और वहीं दूसरी तरफ भाजपा ऐसा ही गठबंधन करके सत्ता में आ गई। इन हालातों में परिवर्तन के प्रति धीमा रुख अपनाने वाली कांग्रेस में प्रशांत किशोर की स्थिति मजबूत हुई है।
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उल्लेखनीय है कि यूपी में जब पार्टी उनको लाई थी तो अंदर ही अंदर पार्टी में सवाल भी खड़े किए गए। सूत्रों के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में यूपी में प्रशांत किशोर ने 60 से भी अधिक जिलों के कांग्रेस नेताओं से मुलाकात की है और उनको चेताया है कि यदि वे पार्टी का टिकट चाहते हैं तो उनके अपने निर्वाचन क्षेत्र में समर्थन करने वाले हजारों कार्यकर्ताओं की अपडेट सूची और उनका पूरा विवरण देना होगा। उन्होंने जिला-स्तर के नेताओं से अलग-अलग इलाकों में विरोधी भाजपा की तुलना में अपनी पार्टी की ताकत और कमजोरियों का लिखित ब्योरा भी मांगा है।
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