कांग्रेस सांसद राहुल से खफा
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर पार्टी आलाकमान चाहे जितना उत्साहित हो, लेकिन पार्टी में उनके खिलाफ नाराजगी बढ़ती जा रही है। सांप्रदायिकता पर बहस से पीछे हटने पर राहुल के प्रति पार्टी सांसदों में असंतोष तो है, लेकिन अनुशासन से बंधे होने के कारण वे मुखर विरोध से कतरा रहे हैं। सांस
By Edited By: Updated: Thu, 14 Aug 2014 09:44 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर पार्टी आलाकमान चाहे जितना उत्साहित हो, लेकिन पार्टी में उनके खिलाफ नाराजगी बढ़ती जा रही है। सांप्रदायिकता पर बहस से पीछे हटने पर राहुल के प्रति पार्टी सांसदों में असंतोष तो है, लेकिन अनुशासन से बंधे होने के कारण वे मुखर विरोध से कतरा रहे हैं। सांसदों को लगता है कि सांप्रदायिकता को लेकर बहस से कतरा कर पार्टी उपाध्यक्ष ने एक बार फिर रणनीतिक चूक की है।
दरअसल, सांप्रदायिकता पर चर्चा को लेकर हंगामा करने वाले राहुल ने इस मुद्दे पर बहस से खुद को दूर रखकर पार्टी को निराश कर दिया है। राहुल के रवैये को लेकर पार्टी सांसदों में निराशा एवं असंतोष का भाव है। पश्चिम बंगाल से चुनकर आए एक पार्टी सांसद का कहना था कि 'राहुल ने जिस मुद्दे को लेकर संघर्ष किया, उस मुद्दे पर वो क्या सोचते हैं यह बताने के लिए उन्हें बोलना चाहिए था।' पार्टी के एक और वरिष्ठ सांसद ने नाराजगी भरे स्वर में कहा कि 'अगर वे पार्लियामेंट में नहीं बोलेंगे तो कहां बोलेंगे, जयपुर अधिवेशन जैसा मंच हर बार तो नहीं मिलेगा।' केरल से पार्टी के एक और सांसद का कहना था कि 'राजनीति को लेकर राहुल जी गंभीर नहीं है। जिस समय न्यायिक नियुक्ति आयोग पर संविधान का संशोधन पारित हो रहा था उस समय पार्टी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों ही लोग सदन में ही मौजूद नहीं थे।' राहुल के बहस में हिस्सा न लेने को लेकर पार्टी प्रवक्ता सलमान खुर्शीद का कहना था कि 'राहुल पार्टी को समय दिलाना चाहते थे, वह खुद नहीं बोलना चाहते थे। इस विषय पर पार्टी की तरफ से पख रखने वालों का चयन भी राहुल गांधी ने ही किया था।' जबकि राहुल ने खुद के ना बोलने को लेकर पूछे गए सवाल का उत्तर नहीं दिया। पढ़ें: राहुल की छवि निखारेगी कांग्रेस