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उत्तराखंड से उत्साहित कांग्रेस ने रोकी राज्य सभा की कार्यवाही

राज्य सभा में कांग्रेस के हंगामे की वजह से सरकार मंगलवार को अहम वित्त विधेयक और विनियोग विधेयक भी पारित नहीं करवा पाई।

By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Tue, 10 May 2016 08:37 PM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उत्तराखंड में सरकार गठन को ले कर उत्साहित कांग्रेस ने मंगलवार को राज्य सभा में सदन की कार्यवाही को दोपहर बाद फिर से ठप कर दिया। सदन में हंगामे का कांग्रेस का मुख्य मकसद राज्य के बजट को सदन में पारित होने से रोकना था। सपा और वाम दलों ने भी कहा कि इसके लिए सरकार को एक दिन इंतजार करना चाहिए।

राज्य सभा में कांग्रेस के हंगामे की वजह से सरकार मंगलवार को अहम वित्त विधेयक और विनियोग विधेयक भी पारित नहीं करवा पाई। दोपहर बाद कांग्रेस के सदस्यों की ओर से जारी हंगामे के बावजूद उप सभापति ने इस पर चर्चा शुरू करवा दी थी। मगर सपा ने भी कहा कि हंगामे के बीच कार्यवाही जारी नहीं रखी जाए। माकपा नेता सीताराम येचुरी ने तो यहां तक कह दिया कि अगर उप सभापति चाहते हैं कि हंगामे के बीच ही महत्वपूर्ण कार्यवाही चले तो यह तय कर लिया जाए। लेकिन थोड़ी-थोड़ी देर के लिए कई बार स्थगित करने के बाद आखिरकार उप सभापति ने सदन को बुधवार तक के लिए स्थगित कर दिया। इस पहले कांग्रेस के सदस्य लगातार सभापति के आसन के पास पहुंच कर नारेबाजी करते रहे।

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भोजनावकाश के बाद सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस सदस्यों ने हंगामा करना शुरू कर दिया था। वे लगातार 'लोकतंत्र के हत्यारों, शर्म करो, शर्म करो' जैसे नारे लगा रहे थे। इन सब के बीच कांग्रेस सांसद जयराम रमेश गुजरात राज्य ऊर्जा निगम (जीएसपीसी) के मुद्दे पर चर्चा करवाने की मांग भी कर रहे थे। उनका कहना था कि वे इस मामले पर कई दिन पहले ही चर्चा के लिए नोटिस दे चुके हैं। इसलिए इस पर तत्काल चर्चा करवाई जाए।

हालांकि कांग्रेस की ओर से साफ कर दिया गया था कि उनका मुख्य विरोध उत्तराखंड के बजट को पास करवाने को ले कर है। इसलिए वे सदन को बाधित कर रहे हैं। पार्टी की ओर से आनंद शर्मा ने भरोसा भी दिलाया कि बुधवार को वे वित्त विधेयक और विनियोग विधेयक पारित करने में सरकार का पूरा सहयोग करेंगे। इससे पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्य का बजट पारित करने का प्रस्ताव पेश किया। उनका कहना था कि राज्य विधानसभा में 18 मार्च को इसे पारित किया जाना पर्याप्त नहीं है। क्योंकि एक तो उस दिन सदन का अंकगणित इसके पक्ष में नहीं था।

इसी तरह बजट को राज्यपाल की मंजूरी भी नहीं मिली है, जो बेहद जरूरी होती है। उप सभापति ने भी कहा कि उन्होंने दोनों पक्षों की बातें सुनने के बाद पाया है कि राज्य के बजट को पास किया जाना चाहिए। वैसे भी यह मनि बिल है जिसे राज्य सभा की मंजूरी के बिना भी प्रभावी माना जाएगा। लेकिन कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि वित्त मंत्री भले ही मानें कि राज्य विधानसभा में यह पारित नहीं हुआ है, मगर उनकी पार्टी मानती है कि यह वहां पारित हो चुका है। येचुरी ने भी इसे पारित करने का विरोध करते हुए कहा कि सरकार इसके जरिए राजनीतिक लाभ लेना चाहती है।

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