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जयराम ने वसुंधरा राजे-दुष्‍यंत पर लगाए धोखाधड़ी के आरोप

धौलपुर पैलेस पर कब्‍जे को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मंगलवार को राजस्‍थान की मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके पुत्र दुष्‍यंत पर कई आरोप लगाए। उन्‍होंने इसके समर्थन में कई दस्‍तावेज भी पेश किए। आज एक प्रेस कांफ्रेंस में उन्‍होंने दुष्‍यंत पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए कहा कि

By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 30 Jun 2015 03:36 PM (IST)
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नई दिल्ली। धौलपुर पैलेस पर कब्जे को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मंगलवार को राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके पुत्र दुष्यंत पर कई आरोप लगाए। उन्होंने इसके समर्थन में कई दस्तावेज भी पेश किए। आज एक प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने दुष्यंत पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए कहा कि यह महल सरकारी संपत्ति है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 1949 में कांग्रेस ने कागज पेश किए। उनका कहना था कि यह देश का नंबर वन घोटाला है। जयराम ने आरोप लगाया कि वसुंधरा और दुष्यंत ने सरकारी संपत्ति को निजी बनाकर उसका दो करोड़ का मुआवजा भी हासिल किया।

कांग्रेस ने धौलपुर पैलेस की मिलकियत को लेकर आज चार दस्तावेज मीडिया के सामने पेश किए और इसके वसुंधरा राजे और उनके पुत्र दुष्यंत की संपत्ति होने के दावे को झूठा करार देते हुए इसे राजस्थान सरकार की संपत्ति बताया। साथ ही कांग्रेस ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए उनसे स्पष्टीकरण मांगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी इस मामले में वसुंधरा राजे के इस्तीफे से कम में राजी नहीं है।

प्रेस कांफ्रेंस में आज उन्होंने कुछ दस्तावेज भी पेश किए। 13 अप्रैल 1949 के एक दस्तावेज को नेशनल आर्काइव से लिया गया। इसमें लिखा है कि सिटी पैलेस धौलपुर का मालिक राज्य यानि राजस्थान सरकार है। दस्तावेज के अनुसार, तत्कालीन महाराजा उदभान सिंह के जीवित रहने तक यह पैलेस उनका रहेगा। इस दौरान इसकी मरम्मत आदि सभी खर्च महाराजा उदयभान सिंह की जिम्मेदारी होगी।

एक अन्य दस्तावेज के रूप में उन्होंने वर्ष 2010 का राजस्थान सरकार का जमाबंदी का रिकॉर्ड भी पेश किया। इसमें धौलपुर पैलेस की भूमि राजस्थान सरकार के नाम पर है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने पैलेस से जुड़ी 600 मीटर भूमि का अधिग्रहण किया था, जिसकी एवज से वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह को दो करोड़ रुपए मुआवजा दिया गया। कांग्रेस ने इसे एक घोटाला भी करार दिया।

तीसरे दस्तावेज के रूप में 10 अप्रैल 2013 का के एक दस्तावेज को पेश किया गया जिसमें दो लोगों द्वारा सीबीआई में दर्ज कराई गई शिकायत में कहा गया है कि दुष्यंत सिंह इस जमीन या पैलेस के मालिक नहीं है और इसके बावजूद उन्हें गैरकानूनी तरीके से मुआवजा दिया गया। यह मामला अभी भी जांच एजेंसी के पास लंबित है।

एक अन्य दस्वावेज 17 मई 2007 का है जो कि भरतपुर के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के फैसले की कॉपी है, जिसमें बताया गया है कि दुष्यंत सिंह और उनके पिता हेमंत सिंह के बीच समझौता अचल संपत्ति को लेकर हुआ था न की चल संपत्ति को लेकर। गौरतलब है कि रमेश ने इससे पहले अपने बयान को पुख्ता बनाने के लिए कल वर्ष 1954, 1955, 1971, 1977, 1980 और 2010 के छह दस्तावेज पेश किए थे।

इस पूरे मामले में कांग्रेस ने राजे पर सरकारी सम्पत्ति को क़ब्ज़ाने का आरोप लगाया है। वर्ष 1954 से 2010 तक के सरकारी रिकॉर्ड को दिखा कांग्रेस ने दावा किया कि धौलपुर पैलेस सरकारी सम्पत्ति है और आरोप लगाया कि वसुंधरा राजे ने इस पर ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से क़ब्ज़ा कर रखा है। ये भी आरोप लगाया कि राजे के बेटे दुष्यंत की कंपनी नियंता होटल हेरिटेज प्राइवेट लिमिटेड में राजे के साथ-साथ ललित मोदी की कंपनी आनंदा का भी शेयर है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश का आरोप है कि राजे-भगोड़ा मोदी के बीच कारोबारी रिश्ते हैं।

कांग्रेस ने ललित मोदी पर मॉरिशस की एक फ़र्ज़ी कंपनी के ज़रिए मनी लांड्रिंग का आरोप भी लगाया, जिसे दुष्यंत की कंपनी में लगाया गया। जयराम रमेश का आरोप है कि इसके ज़रिए 22 करोड़ आया जिसमें 11 करोड़ नियंता में लगा।