दिल्ली में सरकार पर जल्द फैसला करे केंद्र
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की स्थिति पर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार से कहा है कि वह इस बारे में जल्दी फैसला करे। मंगलवार को कोर्ट ने दिल्ली की अनिश्चित स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि क्यों विधानसभा निलंबन में बनी रहे और चुने हुए प्रतिनिधि बिना किसी काम के घर पर खाली बैठे रहें।
By Edited By: Updated: Wed, 06 Aug 2014 01:09 AM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की स्थिति पर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार से कहा है कि वह इस बारे में जल्दी फैसला करे। मंगलवार को कोर्ट ने दिल्ली की अनिश्चित स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि क्यों विधानसभा निलंबन में बनी रहे और चुने हुए प्रतिनिधि बिना किसी काम के घर पर खाली बैठे रहें।
आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया अरविंद केजरीवावाल के फरवरी में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद से विधानसभा निलंबित चल रही है और राष्ट्रपति शासन लगा है। आप ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर विधानसभा भंग कर चुनाव कराए जाने की मांग की है। इस मामले पर न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ सुनवाई कर रही है। संविधान पीठ ने मामले की सुनवाई पांच सप्ताह के लिए टालते हुए कहा कि वे उम्मीद करते हैं कि इस बीच केंद्र सरकार कुछ सकारात्मक कदम उठाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसीटर जनरल पी. नरसिम्हन से कहा कि वे जिम्मेदार अथॉरिटी को इस चिंता से अवगत कराएं। पांच महीने हो गए हैं। दिल्ली में विधानसभा निलंबन में चल रही है और राष्ट्रपति शासन लगा है। केंद्र ने इस बीच, दिल्ली में सरकार बनाने के लिए क्या कदम उठाए। कोर्ट ने कहा कि वे राजनीतिक दलों के नजरिये से नहीं देख रहे, वे दिल्ली की जनता के नजरिये से देख रहे हैं जो कह सकती है कि उन्होंने प्रतिनिधि चुनकर भेजे हैं। वे करदाताओं के पैसे से वेतन ले रहे हैं और खाली बैठे हैं। पीठ ने कहा कि संबंधित अथॉरिटी को इस पर विचार करना चाहिए और कुछ कदम उठाने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणियां उस समय की जब केंद्र सरकार की पैरोकारी कर रहे वकील ने कहा कि कानून में एक वर्ष का समय (राष्ट्रपति शासन) दिया गया है। अभी भी स्थिति अस्थिर है, इसे अंतिम नहीं कहा जा सकता। हालांकि कोर्ट ने आम आदमी पार्टी की ये मांग ठुकरा दी कि कोर्ट ही इस बारे में कोई आदेश पारित करे ताकि साल के अंत में चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ ही दिल्ली में भी चुनाव हो जाएं। पीठ ने ऐसा कोई आदेश पारित करने से इन्कार करते हुए कहा कि इस बारे में उचित अथॉरिटी को ही निर्णय लेना चाहिए।
''एक दल कहता है कि उसके पास बहुमत नहीं है। दूसरा कह रहा है कि उसकी सरकार बनाने की इच्छा नहीं है और तीसरे के पास संख्या बल नहीं है, ऐसी स्थिति में जनता क्यों परेशानी झेले'' -सुप्रीम कोर्ट