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हंदवाडा हिंसा: कोर्ट ने पूछा किस कानून के तरह छात्रा को पुलिस हिरासत में रखा गया?

हाईकोर्ट ने हंदवाडा मामले पर सुनवाई करते हाईकोर्ट ने सवाल उठाया है कि किस कानून के तरह छात्रा और उसके परिवार को पुलिस हिरासत में रखा गया है?

By Atul GuptaEdited By: Updated: Sat, 16 Apr 2016 04:40 PM (IST)
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श्रीनगर, (जेएनएन)। राज्य हाईकोर्ट ने शनिवार को हंदवाड़ा मामले की मुख्य गवाह पीडि़त छात्रा व उसके पिता व मौसी को निकटतम चीफ ज्यूडिशियल मैजिस्ट्रेट अथवा ज्यूडिशियल मैजिस्ट्रेट की अदालत में पेश करने का निर्देश देते हुए एसपी हंदवाड़ा व पुलिस थाना प्रभारी हंदवाड़ा से पूछा है कि छात्रा व उसके परिजनों को किस कानून के तहत हिरासत में रखा गया है?

गौरतलब है कि हंदवाड़ा में गत मंगलवार को एक छात्रा के साथ सैन्यकर्मियों द्वारा छेड़खानी का आरोप लगाए जाने के बाद हिंसा भड़क उठी। इस हिंसा में अब तक पांच लोगों की जान जा चुकी है। पीडि़त छात्रा ने उसी शाम अपने बयान में दावा किया था कि उसके साथ कोई सैन्यकर्मी नहीं था बल्कि दो स्थानीय लड़कों ने उसके साथ बाजार में मारपीट करते हुए लोगों को भडकाया। पीडि़त लड़की, उसके पिता अकबर गनई और मौसी जेबा बेगम मंगलवार से ही पुलिस के पहरे में पुलिस स्टेशन में ही रह रहे हैं।

स्थानीय मानवाधिकारवादी संगठन जम्मू कश्मीर कोएलिशन ऑफ सीविल सोसाईटी और कश्मीर बॉर एसोसिएशन ने छात्रा व उसके परिजनों की प्रोटेक्टिव कस्टडी पर सवालिया निशान लगाते हुए उसके बयान को भी अवैध बताया है। उन्होंने पुलिस पर लड़की से जबरन बयान दिलाने व उसे बदनाम करने का भी आरोप लगाया है।

कोएलिशन आफ सीविल सोसाईटी और बॉर एसोसिएशन ने आज लड़की की मां ताजा बेगम की तरफ से एक राज्य हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की। इसमें लड़की, उसके पिता व मौसी की रिहाई, उसका बयान दिलाने वाले पुलिसकर्मियों सैन्याधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की आग्रह किया गया।

याचिका में कहा गया है कि छात्रा नाबालिग है। ताजा बेगम ने कहा उसके पति व बहन को भी पुलिस अवैध रुप से हिरासत में रखा हुआ है।

कोएलिशन ऑफ सीविल सोसाईटी के परवेज इमरोज और कश्मीर बॉर एसोसिएशन के नजीर अहमद रोंगा ने अदालत में याचिकाकत्र्ता का पक्ष रखा। उन्होंने दलील देते हुए कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 की अवमानना करते हुए छात्रा व उसके परिजनोंकेा हिरासत में रखा गया है। उन्होंने कहा कि पुलिस का यह कहना कि प्रोटेक्टिव कस्टडी में हैं, सर्वथा गलत है। ऐसी कोई हिरासत नहीं होती। उन्होंने कहा कि पुलिस पीडि़त नाबालिग छात्रा से अपनी मर्जी मुताबिक बयान दिला रही है। वह पूरे परिवार के जीवन को खतरे में डाल रही है।

हाईकोर्ट के जस्टिस मुजफफर हुसैन अत्तर ने मामले की सुनवाई करते हुए पुलिस को निर्देश दिया कि वह छात्रा को प्रिंट , इलैक्रा निक मीडिया से पूरी तरह दूर रखे। उसका जबरन कोई बयान नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही उसे व उसके परिवार के अन्य सदस्यों को जल्द से जल्द निकटवर्ती चीफ ज्यूडिशियल मैजिस्ट्रेट या ज्ूयउिशियल मैजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया जाए।

उन्होंने मामले की अगली सुनवाई 20 अप्रैल बुधवार को तय करते हुए एसपी हंदवाड़ा व थाना प्रभारी हंदवाड़ा को निर्देश दिया कि वह उस कानून का खुलासा करें,जिसके तहत उक्त छात्रा व सके परिजनों को हिरासत में रखा गया है।

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