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एजेंटों के खिड़की से टिकट लेने पर रोक के मामले में सरकार को नोटिस

रेल टिकटों की कालाबाजारी रोकने के लिए एजेंटों को टिकट खिड़की से टिकट खरीदने पर रोक लगाने के सरकारी आदेश पर सुप्रीम कोर्ट विचार कर रहा है। कोर्ट ने रोक आदेश को चुनौती देने वाली रेल टिकट एजेंटों की याचिका पर रेल मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। रेल मंत्रालय ने गत सात मई को एक

By Edited By: Updated: Mon, 04 Aug 2014 10:09 PM (IST)
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नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। रेल टिकटों की कालाबाजारी रोकने के लिए एजेंटों को टिकट खिड़की से टिकट खरीदने पर रोक लगाने के सरकारी आदेश पर सुप्रीम कोर्ट विचार कर रहा है। कोर्ट ने रोक आदेश को चुनौती देने वाली रेल टिकट एजेंटों की याचिका पर रेल मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

रेल मंत्रालय ने गत सात मई को एक आदेश जारी किया था। इसमें टिकटों की कालाबाजारी रोकने को एजेंटों के टिकट खिड़की से टिकट खरीदने पर रोक लगा दी गई थी। एजेंट सिर्फ इंटरनेट के जरिये ही टिकट खरीद सकते हैं, टिकट खिड़की से नहीं। इंडियन रेल ट्रैवलर्स सर्विस एजेंट एसोसिएशन (आइआरटीएसएए) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सरकार के आदेश को रद करने की मांग की है।

सोमवार को याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने रेल मंत्रालय को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। एजेंट एसोसिएशन की याचिका में कहा गया है कि वे रेलवे के अधिकृत एजेंट हैं। उन्हें 1985 से रेल टिकट बेचने का लाइसेंस मिला हुआ था। वे ग्राहकों को टिकट खिड़की से टिकट खरीद कर देते थे और अपना तय अधिकृत कमीशन लेते थे। गत 7 मई के आदेश के बाद उनके लाइसेंस रद कर दिए गए। लाइसेंस रद करने से पहले न तो उनका पक्ष सुना गया न ही उन्हें ज्ञापन देने का मौका ही दिया गया। याचिका में आदेश रद करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वे अधिकृत एजेंट हैं और इंटरनेट के जरिये टिकट बेचने वाले एजेंट दूसरे होते हैं। इसके अलावा कुछ गैरकानूनी एजेंट भी थे जिन्हें रोकने की आड़ में उनके लाइसेंस भी रद हो गए जो अधिकृत थे।

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