टल सकती थी उत्तराखंड की तबाही :उमा भारती
भोपाल। भाजपा नेता उमा भारती ने कहा है कि उत्तराखंड में बारिश और बाढ़ की वजह से मची तबाही मानवीय भूलों का नतीजा है, कुछ उपायों से इसे टाला जा सकता था। उमा भारती ने कहा कि मेरा मानना है कि भारी बारिश के कारण उत्तराखंड में जो तबाही मची उसे रोका तो नहीं जा सकता था, लेकिन अगर समय रहते कुछ उपाय कर लिए जाते तो लोगों की क
By Edited By: Updated: Sun, 30 Jun 2013 03:35 PM (IST)
भोपाल। भाजपा नेता उमा भारती ने कहा है कि उत्तराखंड में बारिश और बाढ़ की वजह से मची तबाही मानवीय भूलों का नतीजा है, कुछ उपायों से इसे टाला जा सकता था।
उमा भारती ने कहा कि मेरा मानना है कि भारी बारिश के कारण उत्तराखंड में जो तबाही मची उसे रोका तो नहीं जा सकता था, लेकिन अगर समय रहते कुछ उपाय कर लिए जाते तो लोगों की कीमती जानें जरूर बचाई जा सकती थीं। उमा ने कहा कि उत्तराखंड में 14 जून को बारिश का सिलसिला शुरू हुआ, जो अगले तीन दिन तक जारी रहा। इस दौरान इतना पानी गिरा कि केदारनाथ धाम के ऊपर स्थित गांधी सरोवर पानी से लबालब भर गया और उससे पानी बह निकला। उमा का कहना है कि यदि बारिश शुरू होने के बाद खतरे को भांपकर समय रहते कदम उठाए जाते और तीर्थयात्रियों को केदारनाथ एवं अन्य धार्मिक स्थलों से इन तीन दिनों में सुरक्षित निकाल लिया जाता, तो बड़ी तादाद में मौतें टाली जा सकती थीं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के श्रीनगर में पनबिजली परियोजना निर्माण के लिए प्राचीन एवं ऐतिहासिक धारी माता मंदिर विस्थापित किया जाना था और मंदिर से तीन दिन पहले ही धारी माता की मूर्ति हटाई गई थी, जिसके बाद इस पर्वतीय राज्य में प्रलय जैसी स्थिति निर्मित हुई। उमा ने कहा हालांकि वह यह नहीं कहना चाहतीं कि धारी माता मंदिर विस्थापन की वजह से यह तबाही आई, लेकिन परंपरागत रूप से माना जाता है कि धारी माता, चारों धाम की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं और उत्तराखंड की जनता की रक्षक माता हैं। उन्होंने कहा कि धारी माता मंदिर विस्थापन के खिलाफ अन्य लोगों के साथ उन्होंने भी अभियान चलाया था, लेकिन उनकी आवाज नहीं सुनी गई। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि बिजली माफिया के दबाव में यह कदम उठाया गया हो, जो वहां मंदिर की जगह एक बड़ा उर्जा संयंत्र स्थापित करना चाहता था।
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