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दिल्ली गैंगरेप: ..और न्याय की चौखट से लौट आती है पीडि़ता की मां

भईया, डेढ़ साल हो गए हमारी बिटिया को दुनिया से गए हुए। निचली अदालत से हाईकोर्ट तक, हर दिन की सुनवाई से मैं अवगत रही हूं। मगर जब से मामला सुप्रीम कोर्ट में गया है, तब से हमें केस की कोई जानकारी नहीं हो पा रही है। मैं सुप्रीम कोर्ट कई बार गई, मगर दरवाजे से ही मुझे वापस लौटा दिया गया। पुलिस वाले भईया हमारा पास नहीं बनवाते। जिससे अंदर जाना नहीं हो पाता। ये बातें वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म पीड़ित की मां ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए दैनिक जागरण से हुई विशेष बातचीत में साझा की हैं। देश व दुनियाभर को हिला कर रख देने वाले वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म केस में पीड़ित के परिजन को ही अदालत में प्रवेश नहीं मिल पा रहा है। यह सबसे बड़े दुर्भाग्य की बात है। ताज्जुब की बात यह है कि दिल्ली पुलिस की जिम्मेदारी बनती है कि वह पीड़ित पक्ष की अदालत में जाने का पास बनवाने में मदद करे, मगर ऐसा नहीं हो पा रहा है।

By Edited By: Updated: Tue, 15 Jul 2014 10:07 AM (IST)

नई दिल्ली, [पवन कुमार]। भईया, डेढ़ साल हो गए हमारी बिटिया को दुनिया से गए हुए। निचली अदालत से हाईकोर्ट तक, हर दिन की सुनवाई से मैं अवगत रही हूं। मगर जब से मामला सुप्रीम कोर्ट में गया है, तब से हमें केस की कोई जानकारी नहीं हो पा रही है। मैं सुप्रीम कोर्ट कई बार गई, मगर दरवाजे से ही मुझे वापस लौटा दिया गया। पुलिस वाले भईया हमारा पास नहीं बनवाते। जिससे अंदर जाना नहीं हो पाता। ये बातें वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म पीड़ित की मां ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए दैनिक जागरण से हुई विशेष बातचीत में साझा की हैं। देश व दुनियाभर को हिला कर रख देने वाले वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म केस में पीड़ित के परिजन को ही अदालत में प्रवेश नहीं मिल पा रहा है। यह सबसे बड़े दुर्भाग्य की बात है। ताज्जुब की बात यह है कि दिल्ली पुलिस की जिम्मेदारी बनती है कि वह पीड़ित पक्ष की अदालत में जाने का पास बनवाने में मदद करे, मगर ऐसा नहीं हो पा रहा है।

पीड़ित की मां ने कहा कि मैं चाहती हूं कि मेरी बेटी से दरिंदगी कर उसे मौत के घाट उतारने वाले दरिंदों को लेकर पल-पल होने वाली अदालती कार्यवाही हमें पता चलती रहे। मगर, ऐसा हो नहीं पा रहा। आज भी टीवी देखकर पता चला कि बेटी के गुनहगार दो अभियुक्तों की फांसी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है, जबकि वे इस मामले के पीड़ित होते हुए भी अदालत नहीं जा पा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में किसी को प्रवेश तभी मिलता है, जब उसके पास अदालती मामले में पुलिस व सरकारी वकील द्वारा बनवाया गया पास हो। मगर दोनों ही पक्षों की ओर से उन्हें इस संबंध में मदद नहीं मिल पा रही। वे कई बार सुप्रीम कोर्ट गई, मगर गेट से अंदर नहीं जा पाई।

मामले की सुनवाई तक वे अन्य परिजन के साथ बाहर ही भटकती रहीं और सुनवाई पूरी होने के बाद पत्रकारों से मामले की जानकारी लेती रहीं। हर बार ऐसा होने पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट जाना ही छोड़ दिया। उन्होंने बताया कि सोमवार को भी पुलिसकर्मियों व एक वकील से बात की है, ताकि मामले की अगली सुनवाई पर उनका पास बन सके और वह अदालत के अंदर जाकर अपनी बेटी के केस की सुनवाई देख सकें।

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