दिल्ली गैंगरेप के चारों गुनाहगारों को कोर्ट ने शुक्रवार को फांसी की सजा सुनाई है। फास्ट टै्रक कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना ने दोपहर ढाई बजे कमरा नंबर 304 में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। फैसला आते ही पीड़िता के परिवार वालों ने जज, सरकारी वकील, पुलिस, मीडियाकर्मी और पूरे भारतवासियों को धन्यवाद कहा। इस फैसले के बारे में सरकारी वकील ने कहा कि जज साहब का मानना था कि यह सबसे क्रूरतम हत्या थी। ऐसी घटना में फांसी से कम की सजा ह
By Edited By: Updated: Sat, 14 Sep 2013 06:16 AM (IST)
नई दिल्ली। दिल्ली गैंगरेप के चारों गुनाहगारों को कोर्ट ने शुक्रवार को फांसी की सजा सुनाई है। फास्ट टै्रक कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना ने दोपहर ढाई बजे कमरा नंबर 304 में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। फैसला आते ही पीड़िता के परिजनों ने जज, सरकारी वकील, पुलिस, मीडियाकर्मी और पूरे भारतवासियों को धन्यवाद कहा। इस फैसले के बारे में सरकारी वकील ने कहा कि जज साहब का मानना था कि यह सबसे क्रूरतम हत्या थी। ऐसी घटना में फांसी से कम की सजा हो ही नहीं सकती।
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उन्हें जिंदा जला देना, वे इंसान नहीं जानवर हैं कोर्ट ने इस मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर मानते हुए दोषियों पर किसी भी तरह की रियायत बरतने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने माना कि सभी दोषियों ने युवती के साथ जिस तरह का जघन्य अपराध किया उसके लिए मौत की सजा से कम कुछ नहीं हो सकता है। फैसला सुनकर चारों दोषी रोने लगे, विनय तो चिल्लाने लगा। फैसले के तुरंत बाद कोर्ट के बाहर मौजूद लोगों ने फैसले पर खुशी का इजहार किया है। फैसले के दौरान कोर्ट के बाहर भारी सुरक्षा प्रबंध थे। वहीं, बचाव पक्ष के वकील एपी सिंह ने एक बार फिर से इससे राजनीतिक दबाव में लिया गया फैसला बताया। उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से केंद्र सरकार के दबाव में लिया गया है। उनका आरोप था कि गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने इस बाबत पहले ही सभी लोगों से बात कर इस फैसले को सुनाने का दबाव डाला गया था। कोर्ट ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ बढ़े अपराधों को किसी भी सूरत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
उधर, सरकारी वकील ने कहा कि आरोपियों को क्या फर्क पड़ता है, वे तो सिर्फ चुप थे। उन्होंने कहा कि जो अपराधी होते हैं, जिन्हें ऐसा अपराध करने में डर नहीं लगता, उन्हें क्या फर्क पड़ता है।
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