कोई पैदायशी अपराधी नहीं होता: हाईकोर्ट
कानून इस बात को मान्यता देता है कि कोई भी अपराधी पैदायशी नहीं होता। परिस्थितियां किसी को अपराध करने पर मजबूर करती हैं। हर अपराधी के अंदर अच्छा इंसान बसता है और उसे सुधारा जा सकता है। इसके लिए अदालतों को विशेष ध्यान देना जरूरी है।
By Edited By: Updated: Tue, 18 Feb 2014 12:08 PM (IST)
[पवन कुमार], नई दिल्ली। कानून इस बात को मान्यता देता है कि कोई भी अपराधी पैदायशी नहीं होता। परिस्थितियां किसी को अपराध करने पर मजबूर करती हैं। हर अपराधी के अंदर अच्छा इंसान बसता है और उसे सुधारा जा सकता है। इसके लिए अदालतों को विशेष ध्यान देना जरूरी है। यह टिप्पणी दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति वीना बीरबल ने मारपीट के मामले में चार आरोपियों को राहत प्रदान करते हुए की। आरोपियों को नेकचलनी पर रिहा कर दिया गया था।
खंडपीठ ने याचिकाकर्ता जितेंद्र की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि छोटे एवं क्षमा योग्य अपराध में अगर किसी को माफी दे दी जाती है तो कुछ गलत नहीं है। अक्सर छोटे अपराध में आरोपी जेल जाकर पेशेवरों के संपर्क में आने से बड़ा अपराधी बन जाता है। इस स्थिति को पैदा होने से पहले ही रोकना कानून की जिम्मेदारी है। खंडपीठ ने कहा कि किसी अपराधी के पुनर्वास की धारणा इसलिए बनाई गई है, ताकि नवयुवक अपराधी को गंभीर अपराधी बनने से रोका जाए। इसलिए ऐसे युवकों को पुर्नवास का मौका दिया जाना चाहिए, ताकि वह गंभीर अपराधी न बन पाएं। इसलिए ऐसे युवकों को तब तक जेल नहीं भेजा जाना चाहिए, जब तक बेहद जरूरी न हो। पढ़ें: दिल्ली को आधा अधूरा राज्य बनाने वाले कानून को चुनौती गौरतलब है कि जितेंद्र व अन्य ने निचली अदालत के 13 अप्रैल 2010 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें आरोपी मनोहर लाल, चांद प्रकाश, अशोक कुमार व रवि को एक साल की नेकचलनी पर रिहा कर दिया था। संपत्ति विवाद के चलते चारों आरोपियों ने जितेंद्र व उसके भाई मनोज को घायल कर दिया था।