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मुजफ्फरनगर दंगे के बाद हताश प्रशासन, सक्रिय राजभवन

दंगों के असर से प्रदेश का प्रशासनिक संतुलन लड़खड़ाने लगा है। नाकामी का ठीकरा अफसरों पर फोड़े जाने से नौकरशाही असमंजस में घिरी है। अपर पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था अरुण कुमार छुट्टी पर चले गए। वह यूपी में काम न करने की इच्छा जता चुके हैं। नौकरशाही पर तोहमतों से कई दूसरे अफसर भी हताश हैं। इ

By Edited By: Updated: Thu, 19 Sep 2013 09:19 PM (IST)
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लखनऊ [जागरण ब्यूरो]। दंगों के असर से प्रदेश का प्रशासनिक संतुलन लड़खड़ाने लगा है। नाकामी का ठीकरा अफसरों पर फोड़े जाने से नौकरशाही असमंजस में घिरी है। अपर पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था अरुण कुमार छुट्टी पर चले गए। वह यूपी में काम न करने की इच्छा जता चुके हैं। नौकरशाही पर तोहमतों से कई दूसरे अफसर भी हताश हैं। इधर प्रशासन की बदहवासी और दंगों के मुकदमों पर सुप्रीम कोर्ट की ताजा सक्रियता के बीच राजभवन फिर हरकत में आया है। मुख्यमंत्री गुरुवार को राजभवन गए और दंगों के हालात पर चर्चा की। राज्यपाल बीएल जोशी दंगों पर प्रदेश सरकार से रिपोर्ट तलब कर चुके हैं। राज्यपाल ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ दंगा प्रभावित क्षेत्र का दौरा भी किया था। मुख्यमंत्री से मिलने के बाद राज्यपाल दिल्ली गए हैं, जहां वह दंगों पर केंद्र को ताजा रिपोर्ट सौंप सकते हैं।

दंगों को लेकर केंद्र की सक्रियता से सपा में सियासी हलचल नजर आई। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह के शुक्रवार को मुजफ्फरनगर व शामली जाने की संभावना है। दंगों को लेकर आरोपों में घिरे नगर विकास मंत्री आजम खां को बचाने की कोशिशें शुरू हुई हैं। एक टीवी चैनल के स्टिंग आपरेशन में आजम पर लगे आरोपों जांच के लिए विधान सभा की एक समिति बनाई जा रही है।

अफसरों में असमंजस

कानून-व्यवस्था समेत कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रहे एडीजी अरुण कुमार नाजुक समय में छुट्टी पर हैं। उनके यूपी छोड़ने की इच्छा से जाहिर है कि सूबे में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। एडीजी/आइजी कानून-व्यवस्था राजकुमार विश्वकर्मा ने कहा कि अरुण कुमार दो दिन की छुट्टी पर शिरडी गए हैं और प्रतिनियुक्ति की अर्जी पहले ही दी थी। मुख्यमंत्री ने कल विधानसभा में दंगों पर चर्चा के दौरान गांवों में मौके पर फोर्स के न पहुंचने व वक्त पर कार्रवाई न करने को लेकर अफसरों को कटघरे में खड़ा किया। गुरुवार को एडीजी/आइजी कानून-व्यवस्था विश्वकर्मा ने भी माना कि गांवों में हर ओर बवाल था, इसलिए कई जगह पुलिस देर से पहुंची। मुख्यमंत्री की नाराजगी बता रही है कि सूबे में कई आला अफसर बदले जायेंगे। दंगों में कई मौकों पर अफसरों की चली नहीं है। फैजाबाद दंगे में तत्कालीन डीजीपी एसी शर्मा ने निर्देशों का पालन न होने की बात दो टूक कही थी। मुजफ्फरनगर के पुलिस प्रशासन में आजम खां के हस्तक्षेप की बात तो खुलकर सामने आ रही है।

गिरफ्तारी बाद में

ताजा दंगे में नामजद विधायकों की गिरफ्तारी विधानमंडल का सत्र खत्म होने के बाद होगी। भाजपाई विधायक एक साथ गिरफ्तारियां देने को तैयार थे इसलिए सरकार ने आफत टाली है। दंगो में नामजद भाजपा विधायक नेता हुकुम सिंह और सुरेश राणा विधानसभा की कार्यवाही में शामिल हुए लेकिन मोस्टवांटेड संगीत सोम गैरहाजिर रहे और भारतेंदु नहीं पहुंचे। दंगे में नामजद बसपा के विधायक नूर सलीम और मौलाना जमील भी आज राजधानी में ही डटे रहे। दोनों ने सदन की कार्रवाई में हिस्सा नहीं लिया।

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