जानिए,अमेरिका के समर्थन के बावजूद NSG की राह भारत के लिए कठिन क्यों
भारत के लिए एनएसजी का सदस्य बनने की राह में रोड़े कम नहीं है। चीन का विरोध भारत के लिए बड़ी मुश्किल पैदा कर सकता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में शामिल होने में अंतरराष्ट्रीय बिरादरी का समर्थन जुटाने निकले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोशिशों को एक और सफलता मिली है। अभी तक इस प्रतिष्ठित समूह में शामिल होने की भारत की कोशिशों का कड़ा विरोध करने वाले मैक्सिको ने अब समर्थन करने का वादा किया है। मैक्सिको के राष्ट्रपति एनरिक पेना निएटो और पीएम मोदी के बीच बुधवार देर शाम हुई बातचीत में इस बारे में सहमति बनी। स्विट्जरलैंड के बाद मैक्सिको का समर्थन हासिल करना मोदी की बड़ी कूटनीतिक सफलता है। इसके बावजूद एनएसजी की राह भारत के लिए आसान नहीं हुई है।
सरकार भी मान रही है कि इन देशों का समर्थन हासिल करने के बावजूद अगर चीन का विरोध जारी रहता है तो भारत के लिए एनएसजी में प्रवेश पाना एकदम मुश्किल है। चीन की तरफ से इस बात का कोई संकेत नहीं आया है कि वह एनएसजी में भारत के प्रवेश की राह में रोड़े नहीं अटकाएगा। तुर्की, आयरलैंड, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका और आस्टि्रया की ओर से भी अभी समर्थन की बात नहीं कही गई है। ये सभी देश पहले भी भारत के एनएसजी में प्रवेश का विरोध करते रहे हैं।
मनाने की कोशिश भी
माना जा रहा है कि तुर्की और आयरलैंड को भारत के पक्ष में वोटिंग करने के लिए अमेरिका की तरफ से मनाने की कोशिश की जाएगी जबकि जापान अपनी तरफ से न्यूजीलैंड से बात कर सकता है। अमेरिका और जापान- दोनों ने ही हाल में कहा है कि वे भारत की दावेदारी के पक्ष में दूसरे देशों को मनाने की कोशिश करेंगे। भारतीय पक्ष को उम्मीद है कि दक्षिण अफ्रीका को भी रजामंद कर लिया जाएगा।
विदेश मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, मोदी अमेरिका यात्रा संपन्न कर पांच घंटे के लिए मैक्सिको पहुंचे। वहां राष्ट्रपति निएटो के साथ हुई उनकी बातचीत में एनएसजी का मुद्दा सर्वप्रमुख रहा। दोनों नेताओं की तरफ से आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी गई कि भारत की दावेदारी का मैक्सिको समर्थन करेगा। मैक्सिको ने यह भी उम्मीद जताई है कि एनएसजी में शामिल होने के बाद भारत परमाणु अप्रसार के लिए काम करेगा। पीएम मोदी ने इसके लिए मैक्सिको को धन्यवाद दिया है।
सनद रहे कि मोदी ने पांच दिनों में पांच देशों की यात्रा की। इस दौरान उनकी स्विट्जरलैंड और मैक्सिको की यात्रा पूरी तरह एनएसजी-केंद्रित रही जबकि अमेरिका यात्रा के दौरान भी यह मुद्दा काफी अहम रहा। भारतीय और अमेरिकी पक्ष में आगे की रणनीति को लेकर बात हुई कि किस तरह से भारत के समर्थन में ज्यादा से ज्यादा देशों को शामिल किया जाए।
वोटिंग 20 से 24 के बीच
इस मुद्दे पर दक्षिण कोरिया की राजधानी सिओल में 20 जून से 24 जून के बीच वोटिंग होने की संभावना है। उसके पहले विएना में भी एनएसजी के सदस्य देशों की बैठक होगी। अभी तक के समीकरण से ऐसा लग रहा है कि चीन के कड़े विरोध की वजह से भारत के लिए इस बार इसमें प्रवेश पाना मुश्किल होगा लेकिन कई देशों का समर्थन मिल जाने से भारत के लिए आगे की राह थोड़ी आसान होगी।