काशी के विकास की तकनीक जापान में तैयार
जापान ने अपने पुराने शहर क्योटो की तर्ज पर काशी के विकास की तकनीक तैयार कर ली है। थोड़ी-बहुत जो कमी होगी, उसे स्वदेश लौटने के बाद जापानी दल दुरुस्त कर लेगा। इतना ही नहीं, गुरुवार को वाराणसी आए जापानी दल ने भरोसा दिया कि अप्रैल में जब भारतीय दल
By Sanjay BhardwajEdited By: Updated: Thu, 26 Mar 2015 10:27 PM (IST)
वाराणसी [जासं]। जापान ने अपने पुराने शहर क्योटो की तर्ज पर काशी के विकास की तकनीक तैयार कर ली है। थोड़ी-बहुत जो कमी होगी, उसे स्वदेश लौटने के बाद जापानी दल दुरुस्त कर लेगा। इतना ही नहीं, गुरुवार को वाराणसी आए जापानी दल ने भरोसा दिया कि अप्रैल में जब भारतीय दल क्योटो के दौरे पर जाएगा तब काशी के विकास का जो ब्लू प्रिंट तैयार किया गया है, उसे सौंप दिया जाएगा।
भारत व जापान के बीच हुए समझौते के क्रम में काशी का विकास करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए जापानी दल गुरुवार को नगर में था। दल में दो सदस्य मंत्री अकियो इसोमाता व काउंसलर मी मासे शामिल हैं। दल ने सबसे पहले महापौर रामगोपाल मोहले से नगर निगम स्थित कार्यालय में मुलाकात की। इस दौरान नगर निगम के अधिकारी भी उपस्थित थे। यहां से निकलने के बाद दल ने रायफल क्लब में जिलाधिकारी प्रांजल यादव संग बैठक की। इसमें शहर के यातायात ,स्वच्छता, सीवरेज, पेयजल, ठोस व तरल कचरा प्रबंधन आदि मूलभूत सुविधाओं को विश्व स्तरीय बनाने पर चर्चा की गई। इस दौरान जिलाधिकारी ने नगर में क्रियान्वित व प्रस्तावित विकास कार्यो का ब्लू प्रिंट भी जापानी दल को सौंपा। इसमें जेएनएनयूआरएम व जायका के तहत हो रहे सीवरेज, पेयजल, शौचालय व सालिड वेस्ट मैनेजमेंट आदि योजनाओं की बाबत विस्तृत जानकारी दी गई है। हृदय योजना की निदेशक शोभा ठाकुर व उनके सहयोगी शुभम कात्यायन भी बैठक में उपस्थित थे। जापानी दल ने डीएम को भरोसा दिया कि काशी के विकास में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे। तकनीक के साथ ही अपेक्षित सहयोग भी देंगे। जानकारी दी कि भारतीय दल क्योटो के दौरे पर जब जापान आएगा तब काशी के विकास को लेकर तैयार हुई तकनीक उपलब्ध कराई जाएगी। बैठक के दौरान जापानी दल ने नगरीय यातायात व्यवस्था को और सुधारने तथा हेरिटेज स्थलों को संरक्षित करने के लिए क्योटो में अपनाई गई तकनीक पर भी चर्चा की।
जापानी दल ने शहर में जगह-जगह लटके होर्डिग व पोस्टर पर कहा कि काशी में जीरो होर्डिग पालिसी लागू होनी चाहिए ताकि पौराणिक एवं ऐतिहासिक दृश्यों का पर्यटक बेहतर ढंग से अवलोकन कर सकें। ऐसे तमाम पुरातात्विक महत्व के भवन व स्थल काशी में है, जो ऐतिहासिक महत्व रखते हैं लेकिन धरोहर के तौर पर घोषित नहीं है। उन्हें भी संरक्षित करने की दिशा में क्योटो तकनीक पर चर्चा की गई है। गंगा घाटों के विस्तार एवं सुंदरीकरण और शहर की स्वच्छता के लिए भी चर्चा हुई।पढ़ें : क्यों धर्म और मर्म की नगरी है वाराणसी