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हाईवे से हटेंगे शराब के ठेके

शराब पीकर गाड़ी चलाने के खतरों और इससे राजमार्गो पर बढ़ते हादसों को जानने और मानने के बावजूद राज्य सरकारें हाईवे पर शराब के ठेके जारी करने से बाज नहीं आ रहीं। राजस्व के लालच में वे न केवल लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रही हैं, बल्कि सड़क दुर्घटनाएं रोकने के राष्ट्रीय दायित्व से भी मु

By Edited By: Updated: Wed, 02 Oct 2013 08:24 PM (IST)
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नई दिल्ली [संजय सिंह]। शराब पीकर गाड़ी चलाने के खतरों और इससे राजमार्गो पर बढ़ते हादसों को जानने और मानने के बावजूद राज्य सरकारें हाईवे पर शराब के ठेके जारी करने से बाज नहीं आ रहीं। राजस्व के लालच में वे न केवल लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रही हैं, बल्कि सड़क दुर्घटनाएं रोकने के राष्ट्रीय दायित्व से भी मुंह मोड़ रही हैं। अब केंद्र सरकार रोड सेफ्टी काउंसिल की बैठक में राज्यों को उनकी जिम्मेदारी की याद दिलाएगी। यह बैठक सात अक्टूबर को राजधानी में होनी है।

शराब पीकर गाड़ी चलाने के कारण सड़क दुर्घटनाओं पर सबसे पहले 15 जनवरी 2004 को रोड सेफ्टी काउंसिल की बैठक में चर्चा हुई थी। इसमें सर्वसम्मत राय बनी थी कि राज्य सरकारें राष्ट्रीय और प्रादेशिक राजमार्गो पर शराब की दुकानें खोलने के लाइसेंस जारी नहीं करेंगी। बाद में 26 अक्टूबर 2007 को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर इसकी याद दिलाई। इसके बाद इसी साल 11 मार्च को राज्यों को पुन: चिट्ठी लिखी गई। इसमें शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों पर दिल्ली की तरह सख्त कार्रवाई करने को कहा गया। अब काउंसिल की बैठक में ताजा आंकड़े पेश कर राज्यों से हाईवे पर नए शराब लाइसेंस व पुराने ठेके बंद करने को कहा जाएगा। साथ ही दस साल में सड़क हादसे आधे करने के लिए राज्यों को उपाय करने को कहा जाएगा।

देश की कुल सड़कों में नेशनल हाईवे का हिस्सा केवल दो प्रतिशत है। लेकिन इन पर दुर्घटनाओं की हिस्सेदारी 29.1 प्रतिशत तथा मौतों की 35.3 प्रतिशत है। इसीलिए सरकार हाईवे पर सबसे ज्यादा ध्यान दे रही है। सड़क सुरक्षा कोष की स्थापना के अलावा महाराष्ट्र की तर्ज पर हाईवे पुलिस का गठन करने को भी कहा जाएगा। महाराष्ट्र में हाईवे पुलिस 1993 से काम कर रही है। इसने राज्य के प्रमुख नेशनल और स्टेट हाईवे पर 43 चौकियां बनाई हुई हैं। इसके तहत एक टै्रफिक इंजीनियरिंग यूनिट भी काम करती है। हाईवे पुलिस की कमान अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारी के पास है।

2012 में देश में कुल 4,90,383 सड़क दुर्घटनाएं हुई। इनमें से 1,23,093 दुर्घटनाओं में कोई न कोई मौत हुई। कुल मिलाकर 1,38,258 लोग मारे गए। सबसे ज्यादा 2,23,902 दुर्घटनाएं तेज रफ्तार के कारण हुई, जबकि 23979 दुर्घटनाओं का मुख्य कारण शराब पीकर गाड़ी चलाना रहा। अन्य कारणों में बिना हेलमेट के दुपहिया और बिना सीट बेल्ट के कार चलाना प्रमुख हैं।

वर्ष 2010 तक सड़क दुर्घटनाओं और मौतों में लगातार वृद्धि हो रही थी। लेकिन उसके बाद इनमें कुछ कमी का रुख दिखा है। सरकार इसे सड़क सुरक्षा उपायों का नतीजा मान रही है। अब अगले दस सालों में सड़क दुर्घटनाओं को आधा करने का लक्ष्य लेकर काम होगा।

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