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शराब के सुरूर में भक्ति का नशा

अशोक नीर, मजीठा (अमृतसर)। दिल में आस्था, हाथ में शराब का गिलास और मन में था अथाह विश्वास.। बाबा रोडेशाह की समाधि पर रविवार को माथा टेकने पहुंचे शराब के सुरूर में मदहोश श्रद्धालुओं में कुछ ऐसा दिखा भक्ति का नशा। मन्नत पूरी होने पर भक्तों की तरफ से बाबा की समाधि पर हजारों लीटर शराब चढ़ाई गई। यही नहीं शराब का प्रस

By Edited By: Updated: Mon, 25 Mar 2013 09:43 AM (IST)
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अशोक नीर, मजीठा (अमृतसर)। दिल में आस्था, हाथ में शराब का गिलास और मन में था अथाह विश्वास.। बाबा रोडेशाह की समाधि पर रविवार को माथा टेकने पहुंचे शराब के सुरूर में मदहोश श्रद्धालुओं में कुछ ऐसा दिखा भक्ति का नशा। मन्नत पूरी होने पर भक्तों की तरफ से बाबा की समाधि पर हजारों लीटर शराब चढ़ाई गई। यही नहीं शराब का प्रसाद पीने के लिए पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं व बच्चों में भी होड़ लगी रही। हालांकि इस आस्था में अधिक शराब पीने से एक श्रद्धालु की मौत हो गई, लेकिन बावजूद इसके संगत का सैलाब रुका नहीं। अमृतसर-मजीठा रोड पर स्थित लाहौर ब्रांच के साथ सटी बाबा रोडेशाह की समाधि पर रविवार को लगे मेले में सुबह 11 बजे से संगत के आने का सिलसिला शुरू हो गया। हाथों में शराब की कैनियां, विदेशी व देशी शराब की महंगी बोतलें लहराते हुए परिजनों के साथ नाच रहे लोग बाबा की समाधि की तरफ आगे बढ़ रहे थे। माथा टेकने के साथ ही हर श्रद्धालु शराब का प्रसाद चढ़ा रहा था। यह शराब आयोजकों की तरफ से मौजूद लोग एक बड़े से टब में डाल रहे थे। देसी, विदेशी व घर की निकाली हुई शराब के लिए अलग-अलग टब रखे गए थे।

इसी में से श्रद्धालुओं को शराब का प्रसाद बांटा जा रहा था। शराब का प्रसाद लेने में महिलाएं भी हिचक नहीं रहीं थी। इतना जरूर था कि शराब का प्रसाद पीते समय उन्होंने मुंह को दुपट्टे से ढंक रखा था। दोपहर बाद तो भक्ति के सुरूर में श्रद्धालु मदहोश दिखे। हालत यह रही कि शराब का प्रसाद पीकर आसपास के खेतों में लोग बेसुध पड़े रहे। प्रसाद के रूप में मिली शराब पीने से एक व्यक्ति की नहर में गिरकर मौत हो गई। मृतक की पहचान नहीं हो पाई है।

दूर-दूर से आए श्रद्धालु

बाबा की समाधि पर माथा टेकने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचे हुए थे। कादियां से आए अमनदीप सिंह, सुखदेव सिंह सुखबीर सिंह, बिट्टू व राजविंदर सिंह ने कहा कि सभी दोस्तों के दिलों में बाबा जी के प्रति आगाध श्रद्धा है। उन्होंने शराब प्रसाद के रूप में ग्रहण की है। यह नशा नहीं, भक्ति का सुरूर है। वहीं, कादियां से आई हरजीत कौर ने बताया कि उन्होंने बेटे की नौकरी के लिए मन्नत मांगी थी, जो पूरी हो गई है। मन्नत पूरी होने पर वह परिवार के साथ बाबा की समाधि पर शराब चढ़ाने आई हैं। गांव जांगला निवासी जसवंत सिंह भी बेटा होने पर पूरे परिवार के साथ बाबा जी की दरगाह पर माथा टेकने आया था।

खुद शराब नहीं पीते थे बाबा जी

मजीठा से पांच किलोमीटर की दूरी पर अमृतसर-मजीठा-फतेहगढ़ चूड़ियां रोड पर स्थित एक पुल के नजदीक बाबा रोडेशाह की समाधि है। बाबा रोडेशाह जी गांव धीमान (दमोदर) जिला गुरदासपुर के किसान शाम सिंह के तीसरे पुत्र थे।

बाबा जी कभी शराब नहीं पीते थे। पौराणिक कथा के अनुसार मजीठा के गांव भोमा में एक जमींदार उजागर सिंह ने बाबा जी से अरदास की कि उसके घर पुत्र की दात बख्शें। उसकी मुराद पूरी हुई। उजागर सिंह ने 500 रुपये की भेंट बाबा जी के आगे चढ़ाई। बाबा जी ने भेंट को हाथ नहीं लगाया।

फिर निर्णय लिया गया कि पांच सौ रुपये की शराब चढ़ा दी जाए। इस दौरान पांच सौ रुपये में से ठेके से रोज एक बोतल शराब लाकर संगत में बांट दी जाती थी। यही से शराब चढ़ाने की आस्था बनी।

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