जाट आंदोलन के दौरान हरियाणा पुलिस ने सेना को किया था गुमराह ?
जाट आंदोलन के दौरान स्थानीय पुलिस ने सेना को गुमराह किया था। ये दावा प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट में किया गया है।
By anand rajEdited By: Updated: Tue, 31 May 2016 10:24 AM (IST)
नई दिल्ली। हरियाणा में जाट आरक्षण की मांग को लेकर फरवरी में हुए हिंसक प्रदर्शन में कई अहम बातें सामने आई हैं। अब ऐसी खबरें आ रही हैं कि स्थानीय पुलिस प्रशासन ने सेना को भटकाया था। ये दावा प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट में किया गया है।
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, जाट आंदोलन में हुई हिंसा की जांच के लिए गठित प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट में ये बातें सामने आई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे कई उदाहरण हैं जिससे पता चलता है कि सेना को या तो गुमराह किया गया या स्थिति संभालने के लिए उनका इस्तेमाल सही ढंग से नहीं किया गया।सेना के इस्तेमाल पर सवाल कमेटी ने सवाल उठाए हैं कि सेना की शक्ति का इस्तेमाल भीड़ को संभालने के लिए किया गया, जबकि राज्य की ओर से हिंसा को रोकने के लिए सेना के 12 बटालियन की मांग की गई थी। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि आंतरिक हालातों से निपटने के लिए जिस रूप में सेना का इस्तेमाल किया जाना चाहिए था उसका इस्तेमाल उस रूप में नहीं किया गया। यह भी कहा गया है कि हरियाणा में जितनी संख्या में सेना की तैनाती की गई थी वह किसी भी क्षेत्र में एक छोटे से पैमाने पर किये गए हमले को रोकने के लिए पर्याप्त था।
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रिपोर्ट में दो वीडियो को भी संदर्भित (दिखाया) किया गया है। एक वीडियो में यह स्पष्ट दिखता है कि हांसी और हिसार शहर में स्थानीय पुलिस किस तरह से अधिकारियोंं और सेना के जवानों के गुमराह कर रही है। वीडियो में सेना के जवानों को संभवतः मजिस्ट्रेट या पुलिस की जीप में बिठा कर भीड़ वाले स्थान के लिए ले जाया जाता है। इस वीडियो से ये भी साफ जाहिर होता है कि इस जीप में सेना को गलत स्थानों पर ले जाकर गुमराह किया जाता था।ये भी पढ़ेंः फिर भड़क सकता है जाट अांदोलन, यहां से होगी शुरुअात रिपोर्ट में इस बात को भी रेखांकित किया गया है कि विपरीत दिशा से प्रदर्शनकारियों का समूह आ रहा है और कोई भी उम्मीद करेगा कि उन्हें रोकने के लिए सेना के जवानों को निर्देश दिया जाएगा। लेकिन इसके बदले सेना की गाड़ी के आगे चल रहा बोलेरो यू-टर्न ले लेता है। वीडियो में ये भी साफ दिखता है कि भीड़ की दिशा से पुलिस की एक गाड़ी आ रही है और वो बाकी सेना के साथ शामिल होती और उनके साथ ही यूटर्न लेेकर चली जाती है। इसके अगले ही मिनट वीडियो में दिखता है कि उत्पाती युवाओं का दल हाथों में लाठी, डंडे और धारदार हथियार लेकर वहीं पहुंचता है जहां से सेना ने यू-टर्न लिया। उसके बाद ये वहां तोड़फोड़ करने लगते हैं।ये भी पढ़ेंः जाट आरक्षण को लेकर खट्टर सरकार अलर्ट, 8 जिलों में धारा 144 लागू पैनल ने कहा कि यह साफ जाहिर होता है कि 4050 उत्पातियों के एक छोटे से दल जिसे सेना आसानी से तितर-बितर कर सकती थी। इन्हें बचाने के लिए सेना को दूर रखा गया। इस काम के लिए एसडीएम और डीएसपी को जिम्मेदार ठहराया गया है और आंशिक रूप से इसेे कायरतापूर्ण हरकत माना गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इनलोगोंं में प्रदर्शनकारियों के प्रति सहानुभूति थी। पैनल के अनुसार, कई विश्वसनीय शिकायतें मिली थी कि झज्जर जिले के छावनी कॉलोनी में हिंसक प्रदर्शन वाले स्थान पर सेना को गुमराह किया गया। ऐसा कहा जाता है कि कॉलोनी तक पहुंचने में सेना को तीन घंटे लग गए।ये भी पढ़ेंः जानिए, मुरथल का सच; ढाबे पर निर्वस्त्र पहुंची थीं महिलाएं मुरथल सामूहिक दुष्कर्म मामले में पैनल ने कहा कि न्याय मित्र अनुपम गुप्ता ने इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि बड़ी संख्या में महिलाएं जो निर्वस्त्र थीं, शरण के लिए ढाबे तक पहुंची थीं। उन्हें कंबल और कपड़े दिये गए थे।ये भी पढ़ेंः जाट आंदोलन से जुड़ी सभी खबरों को जानने के लिए यहां क्लिक करें